डेस्क। अगर आप देवी पूजा में विश्वास रखते हैं तो आपने मां कालिका के अष्ट या चौंसठ योगिनी रूपों के बारे में अवश्य सुना होगा। कई लोग इन योगिनियों से परिचित भी होंगे। योगिनियो को ही तंत्र विद्या की देवी भी कहां जाता है। हर योगिनी किसी विशेष शक्ति की प्रतिमूर्ति होती है। वैसे तो योगिनियों को किसी भी रूप में पाया जा सकता है पर अगर कोई व्यक्ति इनको पत्नी रूप में पाने की कोशिश करता है तो उसका अनिष्ट होना निश्चित है। तंत्र विद्याओं में योगिनी साधना को ही सबसे कठिन साधना माना जाता है। इसको सफलता पूर्वक करने वाला मनुष्य कुछ भी पा सकता। लेकिन इस साधना को अगर हल्की सी भी त्रुटि के साथ किया जाए तो योगिनी बिना आपकी जान लिए वापस नहीं जातीं।
क्यों सबसे कठिन होती है ये साधना
योगिनी साधना अप्सरा साधना या अन्य देवी-देवताओं की साधना से काफी भिन्य है।। क्योंकि यहां आप किसी एक देवी की नहीं स्वम् महा शक्ति का आवाहन कर रहे होते हैं। सभी योगिनियां आदिशक्ति मां काली का अवतार है। घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए माता ने ये अवतार लिए थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार ये सभी माता पर्वती की सखियां हैं।
इन चौंसठ देवियों में, दस महाविद्याएं और सिद्ध विद्याओं की भी गणना की जाती है। इनको शक्ति काली के ही भिन्न-भिन्न अवतारी अंश कहा जता हैं।
कुछ साधकों की माने तो समस्त योगिनियों का संबंध मुख्यतः काली कुल से ही हैं और ये सभी तंत्र तथा योग विद्या से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं।
इंद्रजाल, जादू, वशीकरण, मारण, स्तंभन इत्यादि कर्म इन्हीं की कृपा द्वारा सफल होते है। प्रमुख रूप से आठ योगिनियां हैं जिनको:- 1.सुर-सुंदरी योगिनी, 2.मनोहरा योगिनी, 3. कनकवती योगिनी, 4.कामेश्वरी योगिनी, 5. रति सुंदरी योगिनी, 6. पद्मिनी योगिनी, 7. नतिनी योगिनी और 8. मधुमती योगिनी के नाम से जाना जाता है।
जानिए चौंसठ योगिनियों के नाम
1.बहुरूप,
2.तारा,
3.नर्मदा,
4.यमुना,
5.शांति,
6.वारुणी
7.क्षेमंकरी,
8.ऐन्द्री,
9.वाराही,
10.रणवीरा,
11.वानर-मुखी,
12.वैष्णवी,
13.कालरात्रि,
14.वैद्यरूपा,
15.चर्चिका,
16.बेतली,
17.छिन्नमस्तिका,
18.वृषवाहन,
19.ज्वाला कामिनी,
20.घटवार,
21.कराकाली,
22.सरस्वती,
23.बिरूपा,
24.कौवेरी,
25.भलुका,
26.नारसिंही,
27.बिरजा,
28.विकतांना,
29.महालक्ष्मी,
30.कौमारी,
31.महामाया,
32.रति,
33.करकरी,
34.सर्पश्या,
35.यक्षिणी,
36.विनायकी,
37.विंध्यवासिनी,
38. वीर कुमारी,
39. माहेश्वरी,
40.अम्बिका,
41.कामिनी,
42.घटाबरी,
43.स्तुती,
44.काली,
45.उमा,
46.नारायणी,
47.समुद्र,
48.ब्रह्मिनी,
49.ज्वाला मुखी,
50.आग्नेयी,
51.अदिति,
51.चन्द्रकान्ति,
53.वायुवेगा,
54.चामुण्डा,
55.मूरति,
56.गंगा,
57.धूमावती,
58.गांधार,
59.सर्व मंगला,
60.अजिता,
61.सूर्यपुत्री
62.वायु वीणा,
63.अघोर और
64. भद्रकाली।
मान्यताओं के अनुसार इनकी साधना अत्यंत ही गोपनीय रखी जाती है। विधिवत संपूर्ण माह साधना करने के बाद प्रसन्न होने पर प्रतिदिन साधक को स्वर्ण मुद्राएं प्रदान करती हैं। इनकी साधना बहुत ही कठिन होती है। साधना के दौरान कई तरह की सावधानी भी रखनी होगी है। नदी स्नान कर चंदन का मंडल बनाकर मध्य में देवी का मंत्र लिखकर ध्यान मंत्र जपा करें। याद रहे कि देवी आपकी परीक्षा लेने के लिए कुछ भी कर सकतीं हैं। इसलिए साधना में सावधानी जरूर बरतें।