आध्यात्मिक- हमने कई बार देखा है कि घर मे सुख समृद्धि का वास नहीं होता है। हमारे अपने हमसे असंतुष्ट रहते हैं। पारिवारिक जीवन मे कलह आ जाती है और प्रत्येक व्यक्ति मानसिक रूप से पीड़ित रहता है। लेकिन हम यह नहीं समझ पाते की आखिर ऐसा होता क्यों है।
आचार्य चाणक्य का मानना है कि जब घर मे अपनापन नहीं रहता है और छोटी छोटी बातों पर कलह होने लगती है। तो उसका एक मात्र कारण हमारा व्यवहार है। यदि हम आपने आचरण में दो चीजों को ले आएं तो हमारा जीवन खुशहाल रहेगा और हमारे परिवार में सुख समृद्धि का वास होगा।
आचार्य चाणक्य के मुताबिक व्यक्ति का आचरण संतुष्टि और दया वाला होना चाहिए। यदि व्यक्ति संतुष्ट रहता है तो वह सुखी रहता है और यदि व्यक्ति का स्वभाव दयालुता वाला है। तो वह दूसरों की पीड़ा समझता है और उनका प्रत्येक परिस्थिति में सहयोग करता है।
आचार्य चाणक्य का मानना है कि सुखी जीवन के लिए दया और सन्तुष्टि अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि संतुष्टि से व्यक्ति लोगों से उम्मीद लगाना छोड़ देता है और अपने जीवन मे जो हैं उससे प्रसन्न रहने लगता है। वहीं दया का भाव व्यक्ति को मानव बनाता है और वह अन्य लोगों को सकारात्मक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।