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धर्म– आचार्य चाणक्य ने व्यक्ति के जीवन से जुड़े हर उस पहलू पर बात की है। जिससे व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर बना सकता है और अपने लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सकता है। चाणक्य नीति में उन्होंने सुखी वैवाहिक जीवन से लेकर सफलता तक का मंत्र बताया है।
वही आचार्य चाणक्य ने इंसान की उन गलतियों का भी जिक्र चाणक्य नीति में किया है। जिन गलतियों की वजह से इंसान को कई बार भरी सभा मे शर्मिंदा होना पड़ता है। चाणक्य कहते हैं कि यदि मनुष्य अपनी कुछ आदतो पर काबू पा लेता है और उन्हें लोगो से साझा नही करता। तो वह कभी भी हंसी का पात्र नही बनता है।

बुराई-

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब व्यक्ति का किसी अपने से झगड़ा हो जाता है। तो वह अपने अपनो की बुराई किसी अन्य व्यक्ति से करता है और अपने क्रोध में आकर बहुत कुछ ऐसा बोल देता है। जिसे सुनकर लोग उसकी हंसी बनाते है और आपके रिश्ते को खराब करने के लिए षड्यंत्र रचते हैं। व्यक्ति को अपने गुस्से पर काबू रखना चाहिए और अपनों की बुराइयां किसी अन्य व्यक्ति से नही करनी चाहिए।
 

शारिरिक-

अगर कोई व्यक्ति किसी के साथ शरीरिक रिश्ते बनाता है। तो उसे इसे जगजाहिर नही करना चाहिए। आचार्य चाणक्य कहते हैं जब आप अपने शरीरिक रिश्ते के बारे में अपने मित्र को भी बताते हैं। तो वह आपकी हसी बनाता है और आपको नीचा दिखाने का हर सम्भव प्रयास करता है।

मजाक-

कई लोग ऐसे होते है जो थोड़ी सी खुशी के लिए अपना ही माजक उड़वाते है। चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को ऐसा नही करना चाहिए। क्योंकि थोड़ी देर का माजक कई बार आपके लिए जीवन भर की समस्या बन जाता है।

दान-

चाणक्य नीति के मुताबिक यदि आप दान करते हैं या किसी व्यक्ति को कोई उपहार देते हैं तो आपको उसे जगजाहिर नही करना चाहिए। इससे न तो आपको उसका पुण्य मिलता है और बाद में वही लोग आपकी इस बात पर आपका माजक बनाते है। जिन लोगो के सामने आप इसे जगजाहिर करते हैं।