डेस्क। इस मंदिर में होता है माता का वर्णम्बर श्रृंगार। सीतापुर-लखनऊ रोड पर स्थित 51 शक्तिपीठ मंदिर में माता भगवती के हर रूप का वर्णम्बर श्रृंगार किया जाता है। नवरात्रि के हर दिन माता के अलग-अलग रूपों को उनके प्रिय रंग के अनुसार वस्त्र, फूल और प्रसाद अर्पित किया जाता है। साथ ही उसी रंग का भोग भी माता को लगाया जाता है। माता को जो रंग अर्पित किया जाता है मंदिर के छोटे से कार्यकर्ता से लेकर पुजारी और यहां तक अध्यक्ष भी उसी रंग के कपड़े पहनते है। इतना ही नहीं जो भक्तगण इस बात से अवगत है वो भी उसी रंग के कपड़े पहनकर माता के दर्शन को आतें हैं।
1998 में स्वर्गीय रघुराज दीक्षित जी ने इस मंदिर का शिलान्यास किया था। रघुराज दीक्षित जी ने अपने बेटे की स्मृति में इस मंदिर को बनवाया था। जब रघुराज दीक्षित जी अपने बेटे की अस्थियां लेकर हरिद्वार उन्हें विसर्जित करने गए तो उन्होंने मां से कहा कि आपने मेरा जीवन निराधार कर दिया है…अब मुझे भी नहीं जीना मुझे भी अपनी शरण में ले लो। जिसके बाद उन्हें किसी दैवीय शक्ति ने संकेत दिया कि अभी उनका जीवन ख़त्म नहीं हुआ। अभी उन्हें माता का एक बहुत ही विशेष कार्य पूरा करना है। उनको संकेत दिया गया कि उन्हें माता के 51 शक्तिपीठों में जाकर वहां से पवित्र मिट्टी लाकर एक जगह पर स्थापित करना है। यह संकेत मिलते ही स्वर्गीय रघुराज दीक्षित जी ने अपनी गृह संपत्ति सब कुछ बेचकर माता के मंदिर के लिए जमीन खरीदी और 51 शक्तिपीठों पर जाकर वहां की पवित्र मिट्टी लेकर आए। और इस मंदिर के शिलान्यास करते ही उन्हें कुछ करना ही नहीं पड़ा बस माता की कृपा होती गई और मंदिर की भव्यता एवं प्रसिद्धि कब बढ़ गई पता ही नहीं चला।
इस मंदिर में क्या है खास-
सर्वप्रथम इस मंदिर में माता के 51 शक्ति पीठो का अंश मौजूद है साथ ही इस मंदिर में दुनिया का दूसरा स्फटिक का शिवलिंग और माता सती के दसों तांत्रिक विद्या रूप भी विराजमान है।