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करवा चौथ का व्रत इस साल 17 अक्टूबर (गुरूवार) को है। जिसके लिए महिलाएं तैयारियां शुरू कर चुकी हैं, हर व्रत के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी माना जाता है। बता दें कि पूजा करने से लेकर सरगी तक कई सारे नियम होते हैं। इसके अलावा व्रत से जुड़े कुछ रिवाज भी होते हैं, जिनको निभाया जाता है। इसके बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है।

सरगी का उपहार

सरगी करवा चौथ के एक दिन पहले का रश्म है, जिसमें सास अपनी बहु को आशिर्वाद के रूप में सरगी देती है। सरगी में मिठाई, फल मेवे आदी होता है, जिसे सूर्योदय के वक्त से व्रत से पहले खाना होता है, जिससे दिनभर व्रत करने में उर्जा मिलती हैं।

निर्जला व्रत
करवा चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है इसमें व्रती को पूरे दिन तक पीना वर्जित रहता है। व्रत करने वाली महिलाएं पूजा पाठ करने माता गौरी और भगवान शिव को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं, ताकि उन्हें अखंड सुहाग और सुखी दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद मिले।

शिव-गौरी की मिट्टी की मूर्ति

करवा चौथ के दिन माता गौरी और भगवान गणेश जी की पिली मिट्टी से मूर्ति बनाई जाती है। इसके बाद उन्हें छोटे से चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है।

करवा चौथ की कथा
करवा चौथ के दिन शादीशुदा महिलाएं या जिनकी शादी होने वाली हैं वो अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं। ये व्रत सुबह सूरज उगने से पहले से लेकर और रात्रि में चंद्रमा निकलने तक रहता है। दिन में पूजा की तैयारी के बाद शाम में महिलाएं एक जगह एकत्र होती हैं। वहां पर पंडित जी करवा चौथ की कथा सुनाती हैं।

पूजा की ताली को सात बार फेरना
करवे और लोटे को सात बार फेरने की एक विधी होती है, इसका अर्थ होता है कि घर की औरतों के बीच में प्यार बना रहे। साथ मिलकर पूजा करें और कहानी सुनने के बाद दो-दो महिलाएं अपने करवे सात बार फेरती हैं जिससे घर में सभी प्रेम के बंधन में मजबूती से पकड़े रहे।