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आध्यत्मिक– हिन्दू धर्म मे विवाह को महत्वपूर्ण बताया गया है। कहते हैं यह एक संस्कार है जो इस संसार को एक सूची में बांधे हुए हैं। विवाह के माध्यम से लोगो का एक दूसरे से जुड़ाव होता है और आपसी संबंधों में मधुरता आती है।
कुछ लोगो के लिए जहां विवाह खुशियां लेकर आता है। वही कई लोगो का जीवन विवाह के बाद बेहद दुखदाई होता है। लेकिन क्या आपको पता है की आपका वैवाहिक जीवन सुख से व्यतीत हो इसके लिए पहले से ही ज्योतिष शास्त्र में कुछ नियम बताए गए हैं। अगर आप कुंडली मिलान के साथ साथ इन विशेष नियमो का पालन करते हैं तो आपका जीवन खुशियों से भर जाता है।

जाने वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें….

अगर लड़का या लड़की गर्भोत्पन्न है। तो उसके वैवाहिक जीवन को उसके जन्म के दिन या उस नक्षत्र में नही करना चाहिए।
अगर घर मे किसी का विवाह हुआ है। तो उसके 6 माह बाद तक घर मे दूसरा विवाह नही करना चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है।
अगर आप अपने पुत्र का विवाह कर चुके हैं और आपकी पुत्री का विवाह तय है। तो आपको 6 माह तक पुत्री का विवाह नही करना चाहिए।
बड़े पुत्र या पुत्री का विवाह जेष्ठ माह में नहीं करना चाहिए।
विवाह लग्न के मुताबिक ही करना चाहिए। 
विवाह करते समय कुंडली जरूर मिलवाये। अगर कुंडली नही मिल रही हो तो विवाह के बाद घर मे पूजा पाठ अवश्य करवाना चाहिए।