आध्यात्मिक: शिव हमारे आराध्य है। शिव को तीनों लोकों का स्वामी कहा जाता है। बिना शिव की अनुमति के इस संसार मे पत्ता भी नही हिलाता। देवो के देव महादेव इन तीनो लोको के कर्ताधर्ता है। भगवान शिव को वैसे तो किसी अस्त्र शस्त्र की आवश्यकता नही होती है क्योंकि इनका सबसे बड़ा हथियार इनकीं तीसरी आंख है। लेकिन इसके बाबजूद शिव के पास त्रिशूल है जो शिव के प्रमुख अस्त्र के रूप में जाना जाता है।
कहा जाता है शिव का त्रिशूल बहुत प्रतापी है। यह बड़े से बड़े कष्ट को हर लेता है वही जो भी व्यक्ति शिव के त्रिशूल को अपने घर मे रखता है उसके घर मे नकारात्मक ऊर्जा का वास नही होता है और घर मे सुख शान्ति बनी रहती है। लेकिन सबके मन में शिव के त्रिशूल को लेकर तरह तरह के सवाल रहते हैं और हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर शिव को त्रिशूल मिला कहां से है और इसका क्या महत्व है।
जाने कैसे मिला शिव को त्रिशूल:
धार्मिक ग्रन्थों के मुताबिक शिव को ब्रह्मनाद से उत्पन्न हुए। तब पृथ्वी के तीन गुण प्रकट हुए। इन तीनो गुणों का फिर मिलन हुआ और इस मिलन से शिव शस्त्र त्रिशूल का निर्माण हुआ। इसके अलावा त्रिशूल को लेकर विष्णु पुराण में उल्लिखित है कि विश्वमकर्मा ने सूर्य के अंश से त्रिशूल का निर्माण किया था, जिसको उन्होंने भगवान शिव को अर्पित किया था।
धार्मिक ग्रथों का कहना है कि शिव का त्रिशूल रज, तज और सम गुण से मिलकर बना है। शिव को त्रिशूल काफी प्यारा है। शिव की प्रतिमा त्रिशूल के बिना अधूरी मानी जाती है। शिव के त्रिशूल को लेकर मान्यता है कि जो भी इसके तीसरे शूल पर ओम को बनाकर अपने घर मे रखता है उसके घर के सभी दुख खत्म हो जाते हैं।