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धर्म: सनातन कालीन धर्म हिन्दू धर्म पुरातात्विक काल से लेकर आज तक का सबसे अच्छा धर्म माना जाता है। हिन्दू धर्म किसी की आलोचना नही करता यह सबको सकारात्मक रहने की प्रेरणा देता है और लोगो को एक सूत्र से बंधता है। वही अगर हम कलावा की बात करे तो हिन्दू धर्म मे कोई भी पूजा पाठ ऐसी नही है जो की इसके बिना पूरी हो सके। कलावा को रक्षा सूत्र माना जाता है।

धर्म शास्त्रों के अनुसार कलावा ईश्वर का प्रतिबंध है। इसमे ईश्वर का वाश होता है। यह हमारी हर विपत्ति से रक्षा करता है। वही यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इसके प्रभाव से व्यक्ति का मन शांत रहता है और अगर आप कोई भी संकल्प करके अपने हाथ में कलावा बांधते हैं तो आपको उस काम मे सफलता प्राप्त होती है। 
कलावा जब हाथ मे बांधा जाता है। तो इसके साथ कुछ मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। यह मंत्र कलावा की शुद्धि करते हैं और हमे ईश्वर के साथ जोड़ते हैं। लेकिन अगर आप कलावा बांधते समय सही मंत्रों का उच्चारण नही करते हैं तो इससे आपको कई नुकसान झेलने पड़ सकते हैं। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कलावा से जुड़े कुछ नियम ..

जाने कब से शुरू हुई कलावा बंधाने की प्रथा-

धर्म ग्रंथो में वर्णित कथाओं में कहा गया है कि कलावा सबसे पहले माता लक्ष्मी ने बांधा था। उन्होंने उस समय इस प्रथा की शुरुआत की जब भगवान विष्णु ने बामन अवतार लिया। कथा है कि राजा बलि ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे भी उनके साथ पाताल लोक में आकर रहें. विष्णु जी ने प्रसन्न होकर उसकी ये प्रार्थना स्वीकार कर ली।
जब माता लक्ष्मी को पता चला कि भगवान विष्णु पाताल लोक चले गए हैं। तो वह उन्हें वापस लाने के लिए राजा बलि का पास गई। वह उनके सामने रोने लगी। जब राजा बलि ने उनसे पूंछा तुम क्यों विलाप कर रही हो। तो उन्होंने कहा मेरा कोई भाई नही है। राजा बलि ने माता लक्ष्मी की सान्त्वना दी और कहा आज से मैं तुम्हारा भाई हूँ। राजा की यह बात सुनकर माता ने उनके हाथ पर रक्षा सूत्र बांध दिया और राजा बलि से उपहार में विष्णु को मांग लिया। तब से कलावा बंधना महत्वपूर्ण हो गया।

जाने कैसे बांधा जाता है कलावा-

कलावा बांधते समय व्यक्ति को इस बात का हमेशा ख्याल रखना चाहिए कि कलावा तीन बार से ज्यादा घुमाकर न बांधे। अगर आप तीन बार से ज्यादा घुमाकर कलावा बांधते हैं तो इससे इसका प्रभाव कम हो जाता है। वही तीन बार लपेटकर कलावा बांधने से ब्रह्मा विष्णु और महेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है और व्यक्ति पर सरस्वती, माता लक्ष्मी और पार्वती की कृपा बनी रहती है।
कलावा बांधते समय येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षंमाचल माचल’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। इससे व्यक्ति को काफी लाभ प्राप्त होता है। कलावा बांधते समय व्यक्ति को अपनी मुट्ठी बांध लेनी चाहिए और महिलाओं को अपना सर दुपट्टे से ढक लेना चाहिए। अमावस्या के दिन कलावा खोल देना चाहिए और दूसरे दिन बांध लेना चाहिए। इसके अलावा सूतक काल के दौरान कलावा अशुद्ध हो जाता है। व्यक्ति को पुनः दूसरा कलावा विधि विधान के साथ बांधना चाहिए।
वही अगर हम कलावा के वैज्ञानिक तर्क को समझे तो कलावा हाथ मे बांधा जाता है। हाथ से हमारे शरीर की सभी नसों का जुड़ाव होता है। कलावा बांधने से नसों की क्रिया नियंत्रित बनी रहती है. शरीर में त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ का संतुलन बनता है। इससे रोगों का नाश होता है।