आध्यात्मिक: सावन का महीना चल रहा है। हर ओर शिव के जयकारे लगाए जा रहे हैं। घरों में सभी लोग शिव की विधि विधान से पूजा कर रहे हैं। वही धर्म ग्रन्थों के मुताबिक शिव इस संसार के पालन कर्ता है शिव की महिमा से इस संसार के सभी कष्ट मिट जाते हैं। जिस भी व्यक्ति पर शिव की कृपा होती है वह हमेशा खुश रहता है। कहा जाता है शिव अपने भक्तों से जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं इन्हें प्रसन्न करने के लिए शिव भक्तों को ज्यादा जप तप नही करना पड़ता लेकिन अगर आप शिव की पूजा विधि से नही करते तो इससे शिव रुष्ट भी हो जाते हैं।
देवो के देव महादेव स्वयं में कई रहस्य छुपाए हुए हैं। यह अन्य देवो की तरह देव लोक में नही रहते। क्योंकि इन्हें कैलाश पर्वत पर रहना पसंद है। वही अगर हम शिव की तीसरे नेत्र की बात करे तो यह सर्वशक्तिमान है शिव इसका प्रयोग तब ही करते हैं जब उन्हें किसी का विनाश करना होता है। शिव के इस नेत्र का तेज इतना अधिक होता है कि इसके तेज से कोई भी भस्म हो सकता है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि शिव त्रिनेत्रधारी बन गए।
धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार एक बार जब नारद मुनि माता पार्वती और शिव के बीच हुई बातों को बताते हैं तो इन बातों के बीच ही शिव की तीसरी आंख का रहस्य छुपा है। कहा जाता है कि एक बार हिमालय पर एक सभा चल रही थी उस सभा मे सभी देवी, देवता, ज्ञानी मौजूद थे। तभी वहां माता पार्वती का आगमन हुआ। उन्होंने भगवान शिव के साथ ठिठोली करने के उद्देश्य से अपने हाँथो से उनके दोनो नेत्रों को ढक दिया।
माता पार्वती द्वारा ऐसा करने से सम्पूर्ण संसार अंधकार में हो गया। सूर्य देव का अस्तिव डगमग गया जीव जंतुओं में खलबली मच गई। लोग अंधेरे से घबराकर बिलखने लगे। कहा जाता है शिव से लोगो की यह दशा देखी नहीं गई। उन्होंने अपने माथे पर एक ज्योतिपुंज प्रकट किया और सम्पूर्ण संसार को उजियारा दिया। यह ज्योतिपुंज शिव के तीसरे नेत्र के रूप में जाना जाता है।