ज्ञान – सेवा एक भाव है इस सम्पूर्ण संसार में कोई भी व्यक्ति किसी को आपने अधीन नहीं रखना चाहता और न ही उसकी यह अभिलाषा होती है कि एक व्यक्ति अपना पूरा जीवन उसकी सेवा में ही व्यतीत कर दे। लेकिन वास्तव में जो व्यक्ति अपने मन में सेवा का भाव रखता है वह सुखी रहता है।
सेवा का अर्थ यह कतई नहीं है कि आप किसी की जी हुजूरी करें सेवा का अर्थ सुख है। जब आप अपने कर्तव्यों से किसी व्यक्ति को खुश रखते हैं, उसके मुस्कुराने की वजह बनते हैं, उसके दुःख को बांटने का सामर्थ्य रखते हैं और विकट परिस्थितियों में उसका समर्थन देते हैं तो यही सेवा है।
सेवा एक ऐसा भाव है जो व्यक्ति के मन में मानवता को जीवित रखता है। जो व्यक्ति सेवा भाव से परिपूर्ण होता है किसी के प्रति निस्वार्थ प्रेम रखता है और उसके समर्थन में बिना किसी लोभ के खड़ा हो जाता है। वही सच्चा सेवक है और ईश्वर उस व्यक्ति को ही अपनी सबसे सुंदर रचना मानते हैं।
यदि हम धर्म ग्रंथों के सार को समझें तो उनके मुताबिक सेवा निःस्वार्थ प्रेम,सत्य, समर्पण और कर्म है। जिससे हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है और हमारा चरित्र सुंदर बनता है। इस संसार का सबसे सुन्दर भाव सेवा से जिससे आप किसी का भी ह्रदय जीत सकते हैं।