ज्ञान- जीवन में रिश्ते बनाना आसान होता है। लेकिन रिश्तों को निभाना हर किसी के वश का नहीं होता है। कुछ इस संसार मे रिश्ता सिर्फ अपने हित को ध्यान में रखते हुए बनाते हैं। तो कुछ लोग आपसे सम्बंध प्रेम और समर्पण के उद्देश्य से बनाते हैं।
वैसे तो इस सम्पूर्ण विश्व मे कोई भी ऐसा रिश्ता नहीं है जो निस्वार्थ हो और आप उस रिश्ते में बिना किसी उद्देश्य से जुड़े हों। लेकिन इस सबके बाद भी कई बार आप अपने ही रिश्तों के कारण दुख झेलते है। कलयुग में जहां प्रत्येक चीज स्वार्थ पर टिकी है वही जब आप किसी व्यक्ति से रिश्ता बनाएं तो उसमें धन पर अभिलाषा की जगह समर्पण को महत्व दें।
ज्ञानात्माओं का कहना है कि जब आप किसी के साथ ह्रदय का सम्बंध बनाते हैं और उस व्यक्ति से उम्मीद, धन और किसी प्रकार की हितकारी अभिलाषा न रखते हुए अपने रिश्ते के प्रति प्रेम, सत्य और निस्वार्थ भाव के साथ समर्पित हो जाते हैं। तो आपके सम्बंध न सिर्फ मजबूत रहते हैं। बल्कि इस कलयुग में आप ठगी से बच जाते हैं और आपको किसी भी प्रकार के दुख से जूझना नहीं पड़ता।
क्योंकि व्यक्ति को तकलीफ कोई रिश्ता नहीं देता। अपितु तकलीफ का कारण उस रिश्ते से जुड़ी हमारी उम्मीद और उस व्यक्ति से जुड़ा स्वार्थ होता है। वहीं जब आप किसी के साथ निस्वार्थ भाव से जुड़ते हैं तो आपको तकलीफ से नहीं जूझना पड़ता है और आप अपने जीवन में सुखी रहते हैं।