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आध्यायम– दोस्ती करना आसान है लेकिन किसी के साथ दोस्ती निभाना बेहद मुश्किल। क्योंकि दोस्ती का अर्थ सिर्फ किसी के साथ खड़े होकर उससे चार बातें करना नहीं है। क्योंकि दोस्ती और समर्पण है। 

आज कल लोग दोस्तों के बड़े-बड़े झुंड बनाकर चलते हैं। लेकिन जब किसी को अपने मित्र की सबसे अधिक आवश्यकता होती है तो दोस्तों के उन झुंड में कोई एक ऐसा व्यक्ति मिलता है जो हमारे लिए खड़ा होता है। वहीं कई बार इस भीड़ में एक भी व्यक्ति हमारे समर्थन के लिए आगे नहीं आता।
वहीं आध्यायम में सच्चे मित्र को लेकर कई तीन ऐसी बातों का वर्णन किया गया है। जो अगर आपके मित्र में हैं तो आपको किसी अन्य मित्र की आवश्यकता नहीं है। आपका यह एक मित्र 100 लोगों के झुंड से बेहतर है। 

जानें आध्यायम के मुताबिक कौन है सच्चा मित्र-

आध्यायम के मुताबिक आपका मित्र सिर्फ आपका मित्र होना चाहिए। अगर आपका मित्र आपके साथ धन या आपकी उपलब्धि देखकर नहीं जुड़ा है। तो वह आपका सच्चा मित्र होगा। 
अगर कोई आपके पास ऐसा है जो आपके साथ न होकर भी आपके लिए खड़ा है। उसे आपके अवगुण से कोई फर्क नहीं पड़ता। आप जैसे हैं उसने आपको वैसे ही स्वीकार लिया है। जो आपको सुनने का स्मार्थ्य रखता है और आपकी आर्थिक, मानसिक परेशानियों में आपकी मदद करता है। तो यह आपका सच्चा मित्र है।
आध्यायम में बताया गया है मित्र वही होता है जो आपका सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। लेकिन अगर आप किसी समस्या में है और उसे पता है कि आपसे गलत हुआ है तब भी वह आपका साथ देगा और अपना स्वार्थ देखकर बीच रास्ते मे आपको नहीं छोड़ेगा।