आध्यात्मिक: जन्माष्टमी हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। पूरा भारत माधव के जन्म का उत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाता है। कृष्ण का जन्म भारत की परंपरा ओर रीतिरिवाजों को दर्शाती है इस दिन लोग अपने घरों में परंपरागत तरीके से रतजगा करते हैं, मध्यरात्रि तक गायन व नृत्य होता है। लोग उपवास रखते है ओर रात के ठीक 12 बजे कान्हा का जन्म होता है। कृष्ण जन्म के बाद भारत के अलग अलग इलाको में कृष्ण जन्माष्टमी का समारोह होता है। भारत मे वैसे तो मथुरा और वृंदावन में कृष्ण जन्माष्टमी को धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन भारत के मणिपुर, असम, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश राज्य इस त्योहार को बड़ी ही खुशी के साथ मनाते हैं।
जाने क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी:
पौराणिक कथाओं के अनुसार मथुरा का राजा कंस बेहद निर्दयी था वह अपनी प्रजा पर अत्याचार करता था। उसके अत्याचारों से न सिर्फ मथुरा के लोग परेशान थे बल्कि आसपास के इलाके के लोग भी उससे कांपते थे। उसके मन मे बच्चो बूढों किसी के प्रति दया नही थी वह सभी को परेशान करता रहता था। मान्यता है कि कस की बहन देवकी की शादी वासुदेव से हुई थी। भविष्यवाणी हुई थी कि उनका 8वां पुत्र कंस का वध करेगा। जिसके बाद कंस से अपनी बहन और बहनोई को कारागार में बन्द कर दिया। कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भाद्र मास की अष्टमी तिथि को कंस की बहन देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। तभी से प्रत्येक साल भाद्र मास की अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी त्योहार मनाया जाता है।
क्या है जन्माष्टमी का महत्व:
कहते हैं भक्त जन्माष्टमी के दिन कृष्ण की कृपा पाने के लिए उपवास रखते हैं। कृष्ण की विधि पूर्वक पूजा करते हैं। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कान्हा की पूजा अर्चना करता है उनकी दया दृष्टि पाने के लिये प्रयास करता है कृष्ण की कृपा से उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं ओर उसके घर मे सुख सम्रद्धि का वास होता है।