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ज्ञान– गलती होना स्वाभाविक है। लेकिन उस गलती को स्वीकार करना बेहद मुश्किल काम। ज्ञानी पुरुषों के मुताबिक इस सम्पूर्ण संसार मे महान वही व्यक्ति बनता है जो अपने ज्ञान के बलबूते पर सम्पूर्ण संसार को जीतने का स्मार्थ्य रखता है और जब उससे कोई गलती हो जाती है तो उसे स्वीकार करना जनता है।
जानकारों के मुताबिक यह गुण बहुत कम लोगों में होता है कि वह अपनी गलती को सुधार लें और यदि उनसे कुछ गलत हुआ है तो उसे सभी के सामने बिना तर्क किए स्वीकार करें। लेकिन जो भी व्यक्ति इस गुण से परिपूर्ण होता है और अपनी गलती को आसानी से स्वीकार कर लेता है। उसे जीवन मे कभी कष्टों से नहीं जूझना पड़ता है और वह अपने जीवन मे सदैव आगे बढ़ता है।
ज्ञानात्माओं का कहना है कि यदि आप ज्ञानी हैं तो आपको उसका प्रदर्शन करने के लिए गलत मार्ग पर चलने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि जब आप गलत करते हैं तो आप असफलता की ओर आगे बढ़ते हैं। वहीं यदि आप अपनी गलती को सुधारना और उसे स्वीकार करना जानते हैं तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।