हिन्दू धर्म में आज का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। वैसे तो हिन्दू धर्म में स्नान के बाद रोजाना सूर्य को जल अर्पित करने की परम्परा है लेकिन अगर कोई रविवार के दिन सूर्य देवता का व्रत करता है उनको जल अर्पित करता है और सुबह उठकर विधि – विधान से सूर्य कवच का पाठ करता है उसका किस्मत सूर्य की भांति चमक उठती है।
मान्यता है कि रोजाना सूर्य कवच का पाठ करने से व्यक्ति का मन शांत रहता है, घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, रोग दोष दूर होते हैं और व्यक्ति को धन लाभ होता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक़ यदि आपका सूर्य कमजोर है तो आपको जल में रोली मिलाकर सूर्य नमस्कार करना चाहिए और सूर्य कवच का पाठ करते हुए भगवान की आराधना करनी चाहिए. इसके आलावा यदि आप रविवार के दिन दरिद्र को दान देते हैं तो सूर्य भगवान की कृपा सदैव आपपर बनी रहती है।
पढ़ें सम्पूर्ण सूर्य कवच
श्रीसूर्यध्यानम्
रक्तांबुजासनमशेषगुणैकसिन्धुं
भानुं समस्तजगतामधिपं भजामि।
पद्मद्वयाभयवरान् दधतं कराब्जैः
माणिक्यमौलिमरुणाङ्गरुचिं त्रिनेत्रम्॥
श्री सूर्यप्रणामः
जपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
ध्वान्तारिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्
। याज्ञवल्क्य उवाच ।
श्रुणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम् ।
शरीरारोग्यदं दिव्यं सर्व सौभाग्यदायकम् ॥ १॥
दैदिप्यमानं मुकुटं स्फ़ुरन्मकरकुण्डलम् ।
ध्यात्वा सहस्रकिरणं स्तोत्रमेतदुदीरयेत्॥२ ॥
शिरो मे भास्करः पातु ललाटे मेSमितद्दुतिः ।
नेत्रे दिनमणिः पातु श्रवणे वासरेश्वरः ॥३ ॥
घ्राणं धर्म धृणिः पातु वदनं वेदवाहनः ।
जिह्वां मे मानदः पातु कंठं मे सुरवंदितः ॥ ४ ॥
स्कंधौ प्रभाकरं पातु वक्षः पातु जनप्रियः ।
पातु पादौ द्वादशात्मा सर्वागं सकलेश्वरः ॥५ ॥
सूर्यरक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्जपत्रके ।
दधाति यः करे तस्य वशगाः सर्वसिद्धयः ॥६ ॥
सुस्नातो यो जपेत्सम्यक् योSधीते स्वस्थ मानसः ।
स रोगमुक्तो दीर्घायुः सुखं पुष्टिं च विंदति ॥ ७ ॥
॥ इति श्री माद्याज्ञवल्क्यमुनिविरचितं सूर्यकवचस्तोत्रं संपूर्णं ॥