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Narak Chaturdashi 2022: इस माह में कई व्रत और त्योहार पड़ रहे हैं। 23 अक्टूबर को धनतेरस और 24 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी और दिवाली एक ही दिन पड़ रही है। नरक चतुर्दशी को नरक चौदस भी कहा जाता है।
नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है और इसका क्या महत्व है। इस दिन किसकी पूजा की जाती है। पूजा विधि और मुहूर्त क्या है। आइए जानते हैं।
नरक चतुर्दशी यानि की नरक चौदस मनाने के पिछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार नरकासुर नामक राक्षस ने अपनी शक्तियों से देवाताओं और ऋषियों को बहुत परेशान किया। उसने 16 हजार स्त्रियों को बंध बना लिया था। नरकासुर के आंतक से परेशान सभी देवता और ऋषी भगवना कृष्ण के पास गए। कहा जाता है कि उसे स्त्री के हाथ से मरने का वरदान प्राप्त था।
भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से उसका वध किया और बंध सभी स्त्रियों को मुक्त कराया। इस खुशी में लोगों ने अपने घरों में दीपक जलाएं। जिस दिन नरकासुर का वध हुआ उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या थी।
इस कारण हर साल कार्तिक मास की अमावस्था को नरक चतुर्दशी मनाई जानें लगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन दिन भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा की जाती है। इस बार दिवाली और नरक चौदस एक ही दिन पड़ रहा है।

Narak Chaturdashi 2022 Puja Vidhi: नरक चतुर्दशी पूजा विधि

शाम के समय भगवान कृष्ण कि पूजा करें और घर के मुख्य द्वार पर तेल का दीपक जलाएं। इस दिन दान करना भी शुभ होता है। भगवान कृष्ण की पूजा करें। यमराज के नाम से भी एक दीपक जलाएं। इस दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का डर दूर हो जाता है।

Narak Chaturdashi 2022 Muhurat: नरक चतुर्दशी मुहूर्त

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 23 अक्टूबर 2022 को शाम 6. 03 मिनट से शुरु होकर अगले दिन शाम 5.07 बजे खत्म होगी।