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आध्यात्मिक– नवरात्रि का पावन पर्व कल यानी 22 मार्च से आरम्भ हो गया है। आज नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा आराधना की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी तपस्या और धैर्य का स्वरूप मानी जाती हैं। यह एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में कमंडल लिए रहती हैं। माता ब्रह्मचारिणी को तपस्चारिणी के नाम से भी जाना जाता है।

माता ब्रह्मचारिणी के जीवन से जुड़ी कथा प्रचलित है कि यह हिमालय की पुत्री हैं। ऋषि मुनि नारद ने इनको उपदेश दिया था। इनके उपदेश के बाद इनके मन मे भगवान शिव को अपना पति बनाने की इच्छा जगी। शिव की तपस्या में यह लीन हुई। कई वर्षों तक यह हवा, फल, बेलपत्र खाकर जीवित रहीं। 
कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखते हुए देवी ने खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के भयानक कष्ट सहे। इस कठिन तपस्या के पश्चात तीन हज़ार वर्षों तक केवल ज़मीन पर टूटकर गिरे हुए बेलपत्रों को खाकर वे भगवान शिव की आराधना करती रहीं। इसके बाद उन्होंने सूखे बेलपत्रों को भी खाना छोड़ दिया और कई हज़ार वर्षों तक वे निर्जल और निराहार तपस्या करती रहीं।
पत्तों को भी खाना छोड़ देने के कारण उनका एक नाम ‘अर्पणा’ भी पड़ गया। कई हज़ार वर्षों की इस कठिन तपस्या के कारण ब्रह्मचारिणी देवी का शरीर एकदम क्षीण हो उठा,उनकी यह दशा देखकर उनकी माता मेना अत्यंत दुखी हुई और उन्होंने उन्हें इस कठिन तपस्या से विरक्त करने के लिए आवाज़ दी ‘उ मा’। तब से देवी ब्रह्मचारिणी का एक नाम उमा भी पड़ गया। उनकी इस तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। देवता,ऋषि,सिद्धगण,मुनि सभी देवी ब्रह्मचारिणी की इस तपस्या को अभूतपूर्व पुण्यकृत्य बताते हुए उनकी सराहना करने लगे। 
अंत में पितामह ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी के द्वारा उन्हें सम्बोधित करते हुए प्रसन्न स्वर में कहा-‘हे देवी!आज तक किसी ने ऐसी कठोर तपस्या नहीं की जैसी तुमने की हैं। तुम्हारे इस आलोकक कृत्य की चारों ओर सराहना हो रही हैं। तुम्हारी मनोकामना सर्वतोभावेन परिपूर्ण होगी।भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हे पति रूप में प्राप्त अवश्य होंगे।अब तुम तपस्या से विरत होकर घर लौट जाओ शीघ्र ही तुम्हारे पिता तुम्हे बुलाने आ रहे हैं।
पूजा से लाभ-
माता ब्रह्मचारिणी को तपस्या की देवी कहा जाता है। अपने जीवन में कठोर तप के बाद देवी ने पति रूप में शिव को प्राप्त किया। मान्यता है कि अगर कोई विधि से माता ब्रह्मचारिणी की आराधना करता है तो माता उसके सभी कष्ट हर लेती हैं और उसके जीवन मे सुख-समृद्धि का वास होता है। माता ब्रह्मचारिणी की आराधना से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।8