विष्णु जी हिन्दू धर्म के मुख्य देवता माने जाते हैं। वे हिन्दू त्रिमूर्ति (Brahma, Vishnu, Mahesh) में से एक हैं और सृष्टि के रक्षक एवं पालक माने जाते हैं। विष्णु जी को जगन्नाथ (Jagannath), वामन (Vamana), राम (Rama), कृष्ण (Krishna) और केशव (Keshava) जैसे नामों से भी पुकारा जाता है।
विष्णु जी की पौराणिक कथाओं में उनके दस अवतारों का वर्णन किया गया है। इनमें से कुछ मुख्य अवतार हैं: मत्स्य (Matsya) अवतार (मत्स्यावतार), कूर्म (Kurma) अवतार (कूर्मावतार), वराह (Varaha) अवतार (वराहावतार), नरसिंह (Narasimha) अवतार (नरसिंहावतार), वामन (Vamana) अवतार (वामनावतार), परशुराम (Parashurama) अवतार (परशुरामावतार), राम (Rama) अवतार (रामावतार), कृष्ण (Krishna) अवतार (कृष्णावतार), बुद्ध (Buddha) अवतार (बुद्धावतार) और कल्कि (Kalki) अवतार (कल्किअवतार)।
विष्णु जी की पूजा की विधि–
विष्णु जी की पूजा करने की विधि विभिन्न स्थानों और परंपराओं के अनुसार थोड़ी-बहुत अलग हो सकती है। यहां कुछ आम चरणों की विधि दी गई है जो आपको विष्णु जी की पूजा करने में मदद कर सकती है:
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स्नान और पवित्रता: पूजा के लिए पहले अपने शरीर को स्नान करें और पवित्र हों जाएं।
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पूजा स्थल: एक साफ और शुद्ध स्थान का चयन करें जहां आप पूजा कर सकें। इस पर आप पूजा मंदिर या पूजा कक्ष के रूप में किसी विशेष स्थान का चयन कर सकते हैं।
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पूजा सामग्री: पूजा के लिए आपको विष्णु जी की मूर्ति या चित्र, पूजा थाली, दीपक, धूप, अक्षत, पुष्प, तुलसी पत्र, जल आदि की आवश्यकता होगी। इन सामग्रियों को पूजा स्थल पर तैयार रखें।
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पूजा का आरम्भ: पूजा को अपने ईश्वर की प्रार्थना और आदेश के साथ आरम्भ करें। इसके बाद, विष्णु जी की मूर्ति के सामने बैठें और मन्त्रों के साथ ध्यान केंद्रित करें।
विष्णु जी की शादी किससे हुई है-
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, विष्णु जी की शादी श्रीमती लक्ष्मीजी (Lakshmi) से हुई है। विष्णु जी को लक्ष्मीजी के साथ विवाहित माना जाता है, जो सौभाग्य, समृद्धि और सम्पत्ति की देवी हैं। इस विवाह की कथा भगवत पुराण और विष्णु पुराण में वर्णित है। कथानुसार, जब देवताओं और असुरों के मध्य समुद्र मंथन (Samudra Manthan) का समय आया, तो विष्णु जी ने तुलसी (Tulsi) के रूप में अपनी पत्नी लक्ष्मीजी को चुना। इसके पश्चात विष्णु जी और लक्ष्मीजी का विवाह सम्पन्न हुआ और वे संयुक्त रूप से समुद्र मंथन कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने में सहायता करते हैं इसलिए, विष्णु जी की शादी लक्ष्मीजी के साथ हुई है और वे पौराणिक कथाओं में समृद्धि, सौभाग्य, और आनंद के प्रतीक के रूप में पूजे जाते हैं।
विष्णु जी के मंत्रों में कई प्रमुख मंत्र हैं, जिन्हें उच्चारण करके भक्ति और ध्यान किया जाता है। ये मंत्र उनकी पूजा, जाप और ध्यान के लिए उपयोगी होते हैं। नीचे कुछ प्रमुख विष्णु मंत्रों का उल्लेख किया गया है:
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“ॐ नमो नारायणाय” (Om Namo Narayanaya): यह मंत्र विष्णु जी की उच्चारण के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इस मंत्र का जाप करने से विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि का आभास होता है।
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“ॐ विष्णवे नमः” (Om Vishnave Namah): यह मंत्र विष्णु जी की स्तुति के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका जाप करने से भक्ति और आत्मिक संयम में सुधार होता है।
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“ॐ शान्ताकारं भुजगशयनं” (Om Shantakaram Bhujagashayanam): यह सुंदर मंत्र विष्णु जी की ध्यान और आराधना के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके जाप से मानसिक शांति प्राप्त होती है और आत्मिकता विकसित होती है।