Hindu dharm: राधा और कृष्ण के प्रेम की कहानी हमे बचपन से सुनाई जाती है। हिन्दू धर्म मे कृष्ण राधा के प्रेम को समर्पण और त्याग का प्रतिरूप माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राधा माता लक्ष्मी का रूप थी और भगवान कृष्ण विष्णु अवतार थे। कृष्ण राधा से असीम प्रेम करते थे उनका प्रेम पवित्रता और त्याग की व्याख्या करता है।
लेकिन भगवान कृष्ण और राधा का विवाह नही हुआ था उन्हें प्रेम में वियोग सहना पड़ा और दोनो के बीच अटुट प्रेम होने के बाद भी दोनो का मिलन नही हो पाया। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार कहा जाता है कि यह नियति थी राधा और कृष्ण पहले से यह जानते थे कि उनका प्रेम लोगो को प्रेरणा तो देगा लेकिन वह विवाह के अटुट बन्धन में नही बधं पाएंगे। आज लोग राधा कृष्ण के प्रेम की मिशाल देते हैं और उससे बहुत कुछ सीखते हैं।
आज लोग इस बात के रहस्य को जानना चाहते हैं कि राधा का विवाह आखिर किसके साथ हुआ था। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार राधा का विवाह अभिमन्यु से हुआ था। जिसके सबूत नंदगांव से 2 मील की दूरी पर स्थित जावट ग्राम में मिलते हैं । कहा जाता है यह वह गांव है जो द्वापर युग मे मौजूद था। इस गांव में जटिला नाम की एक गोपी रहती थी। उस गोपी का एक पुत्र था जिसका नाम अभिमन्यु था।
योगमाया के अनुसार राधा का विवाह अभिमन्यु से हुआ था। राधा के पिता वृषभानु ने उनका विवाह करवाया था। कहा जाता था कि अभिमन्यु राधा के पति थे लेकिन उन्होंने कभी भी राधा को स्पर्श नही कर पाया। राधा में इतना तप था कि अभिमन्यु उनकी परछाई के पास भी नही जा पाए। योग माया से हुए इस विवाह का औचित्य सिर्फ द्वापर युग मे समाज को दिखाने और जीवन चक्र के नियमों को उल्लेखित करने के लिये हुआ था।
आज भी जावट गांव में जटिला जी की हवेली है और जटिला, कुटिला और अभिमन्यु का मंदिर भी है। लोग इनका नाम सम्मान के साथ लेते हैं। वही धार्मिक ग्रन्थ प्रेम को समर्पण का प्रतिबिंब मानते हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार सच्चा प्रेम वही है जिंसमे समर्पण और सत्यता है वह त्याग है और जो त्याग नही कर सकता वह प्रेम नही कर सकता।