परशुराम जयंती पूजा विधि-
तृतीया तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों को भूलकर सबसे पहले स्नान कर लें। इसके बाद साफ कपड़े पहनकर मंदिर जाकर या घर की साफ-सुथरी जगह पर एक चौकी पर आसन (कपड़ा) बिछाकर भगवान परशुराम की तस्वीर या फिर मूर्ति को स्थापित करें।
अब जल, चंदन, अक्षत, गुलाल, फूल आदि अर्पित करें। इसके बाद भगवान परशुराम को तुलसी दल भी अर्पित करें। भोग में मिठाई, फल आदि भी चढ़ाएं। विधिवत तरीके से पूजा करने के बाद घी का दीपक और धूप जलाकर आरती करें। इस दिन जातक व्रत रखें इस व्रत में अनाज खाएं बिना दिनभर व्रत रहें।
पूजा का शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि का प्रारंभ- 3 मई,मंगलवार सुबह 5: 20 पर होगा, तृतीया तिथि की समाप्ति- 4 मई 2022, बुधवार सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर होगी।
पूजा के समय इस महामंत्र का करें उच्चारण-
ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।
ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।
ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम का जन्म धरती से अन्याय को खत्म करने के लिए हुआ था। भगवान उनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। भगवान परशुराम को भगवान शिव का एकमात्र परम शिष्य माना जाता है। कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम ने कठोर तपस्या करके महादेव को प्रसन्न किया। उन्हें कलयुग में चिरंजीवी माना जाता है।