सकट चौथ 2025: क्या आप जानते हैं सकट चौथ का महत्व और कथा?
क्या आप अपने परिवार की खुशहाली और संतान की मंगल कामना चाहते हैं? अगर हाँ, तो सकट चौथ का व्रत आपके लिए बेहद खास है! यह व्रत माघ मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को रखा जाता है, जो इस वर्ष 17 जनवरी 2025 को पड़ रहा है। इस लेख में हम आपको सकट चौथ से जुड़ी पूरी जानकारी देंगे - पूजन मुहूर्त, विधि, व्रत कथा और महत्व। जानिए कैसे यह व्रत आपके जीवन में खुशियाँ ला सकता है!
सकट चौथ 2025: पूजन का शुभ मुहूर्त
सकट चौथ का व्रत रखने का सबसे उत्तम समय क्या है? कब करें पूजा, कब दें चंद्रमा को अर्घ्य? जानने के लिए पढ़ें आगे। उदया तिथि के अनुसार, सकट चौथ व्रत 17 जनवरी 2025 को रखा जाएगा। चतुर्थी तिथि प्रारंभ होगी 17 जनवरी को सुबह 4:06 बजे और समाप्त होगी 18 जनवरी को सुबह 8:30 बजे। पूजन के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं:
पहला मुहूर्त:
सुबह 5:27 बजे से 6:21 बजे तक
दूसरा मुहूर्त:
सुबह 8:34 बजे से 9:53 बजे तक
चंद्रमा को अर्घ्य देने का शुभ समय रात 9:09 बजे है। अपनी सुविधा के अनुसार, आप इनमें से किसी भी मुहूर्त में पूजा संपन्न कर सकते हैं। याद रखें, सही समय पर पूजा करने से आपको अधिक लाभ मिलेगा!
सकट चौथ पूजन विधि: कैसे करें पूजा?
सकट चौथ के दिन, भगवान गणेश और चंद्र देव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। यह व्रत महिलाओं द्वारा निर्जला रखा जाता है, अर्थात पूरे दिन पानी भी नहीं पीते। रात में, चंद्रमा के दर्शन के बाद, महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और विधि-विधान से पूजा करती हैं। हवन कुंड में हवन करने के बाद, वे चंद्र देव और भगवान गणेश की परिक्रमा करती हैं और बच्चों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
पूजा सामग्री:
- गणेश जी और चंद्र देव की मूर्तियाँ या चित्र
- रोली, चावल, फूल
- दीपक, धूप, अगरबत्ती
- दूध, शकरकंद
- फल, मिष्ठान
- 21 दुर्वा
पूजा के बाद, व्रत दूध और शकरकंद खाकर खोला जाता है, उसके बाद अगले दिन भोजन ग्रहण किया जा सकता है। गणेश मंत्र का जाप और 21 दुर्वा का अर्पण बेहद शुभ माना जाता है।
सकट चौथ व्रत कथा: जानें पौराणिक महत्व
कई कथाएं सकट चौठ के व्रत के पीछे के महत्व को बताती हैं। एक कथा के अनुसार, मां पार्वती के स्नान के दौरान, गणेश जी ने शिव जी को अंदर जाने से रोक दिया था। क्रोधित होकर, शिव जी ने गणेश जी की गर्दन काट दी थी। मां पार्वती के विलाप पर, शिव जी ने एक हाथी के बच्चे का सिर लगाकर गणेश जी को पुनर्जीवित किया। इसी घटना के बाद से इस दिन को सकट चौथ के रूप में मनाया जाने लगा, संकट से मुक्ति की कामना के लिए।
सकट चौथ की अन्य कथाएँ
और भी कई कथाएं हैं जो इस व्रत की महिमा को दर्शाती हैं। इन कथाओं में, यह व्रत बच्चों के कल्याण और सुरक्षा के लिए, और उनके लंबे जीवन के लिए रखा जाता है।
सकट चौथ: निष्कर्ष (Take Away Points)
- सकट चौथ 17 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा।
- इस दिन भगवान गणेश और चंद्र देव की पूजा की जाती है।
- व्रत रखने से संकटों से मुक्ति मिलती है और संतान की प्राप्ति होती है।
- व्रत दूध और शकरकंद खाकर खोला जाता है।
- पूजा विधि का पालन करने से भगवान गणेश और चन्द्र देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।