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सावन:- सावन का महीना चल रहा है। यह हिन्दू धर्म मे काफी महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। सावन के महीने में हर कोई शिव भक्ति में लीन रहता है। लोग शिव को प्रसन्न करने के लिए हर सम्भव प्रयास करते हैं। कहा जाता है कि सावन महीने में जो भी सच्चे मन से शिव की आराधना करता है शिव उनपर अपनी दया दृष्टि हमेशा बनाए रखते हैं। वही धार्मिक ग्रन्थों की बात करे तो उनमें शिव से जुड़ी कई कथाएं छुपी हुई है धार्मिक ग्रंथ न सिर्फ शिव की महिमा का गुणगान करते हैं बल्कि शिव के कई रहस्यों से पर्दा भी उठाते है ओर शिव के हर रुप का वर्णन बड़ी निपुणता के साथ करते हैं। 

वही आज हम आपको बताने जा रहे हैं शिव की संतानों के बारे में हमने आज तक यही सुना है कि शिव के दो पुत्र थे गणेश और कार्तिकेय लेकिन धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार शिव के दो नही 9 संताने थी । धार्मिक ग्रंथों में कहा गया शिव की 9 संतानों में 1 पुत्री व 8 पुत्र थे। बताया जाता है इन संतानों में कुछ संताने शिव ने गोद ली थी तो कुछ को अपने चमत्कारों से उत्पन्न किया था। 

अशोक सुन्दरी:-

धार्मिक ग्रन्थों में कहा गया है कि पार्वती जी के दो पुत्र व एक पुत्री थी। पुत्रो के बारे में हम सबने खूब सुना है लेकिन पुत्री को हम नही जानते। असल मे माता पार्वती काफी अकेलापन महसूस करती थी। उनके इस अकेलेपन को दूर करने के लिए भगवान शिव ने अशोक सुंदरी यानी अपनी पुत्री का निर्माण किया था। 

कार्तिकेय:- 

इसके अलावा कार्तिकेय का नाम सभी जानते हैं कि यह शिव के पुत्र थे ओर इनका जन्म षष्ठी तिथि को हुआ था। 

गणेश:-

गणेश जो शिव पार्वती की सबसे प्रिय संतानों में से एक थे इनका जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। यह कार्तिकेय से छोटे थे ओर इनकीं उत्पत्ति पार्वती जी ने चंदन के उबटन से की थी कहा जाता है यह शिव पार्वती को बहुत प्रिय थे।

सुकेश;- 

गणेश के बाद धार्मिक ग्रन्थों में सुकेश का नाम उल्लेखित है। अगर हम अशोक सुन्दरी को छोड़ दे तो यह शिव का तीसरा पुत्र था। धार्मिक कथाओं के अनुसार अनुसार दो राक्षस भाई थे- ‘हेति’ और ‘प्रहेति’। प्रहेति धर्मात्मा हो गया और हेति ने राजपाट संभालकर अपने साम्राज्य विस्तार के लिए ‘काल’ की पुत्री ‘भया’ से विवाह किया। भया से उसके विद्युत्केश नामक एक पुत्र का जन्म हुआ। विद्युत्केश का विवाह संध्या की पुत्री ‘सालकटंकटा’ से हुआ। इस पुत्र को उन्होंने अकेला छोड़ दिया जिसके बाद इसको शिव अपने साथ ले आए इसका नाम शिव पार्वती ने सुकेश रखा ओर इसी से राक्षसों का वंश चला।

जलन्धर:- 

जलन्धर का जन्म समुद्र से हुआ। इसमे अपार शक्ति थी। मगर इसकी शक्ति का कारण उसकी पत्नी वृंदा थी जिसके पतिव्रत धर्म के कारण ही देवी-देवता मिलकर भी जलंधर को पराजित नहीं कर पा रहे थे। 

अयप्पा:- 

मान्यता है भगवान अयप्पा भगवान शिव और मोहिनी के पुत्र है। कहा जाता है कि श्री हरि का का मोहिनी रूप देखकर भगवान शिव का वीर्यपात हो गया था। उनके वीर्य को पारद कहा गया और उनके वीर्य से ही बाद में सस्तव नामक पुत्र का जन्म का हुआ जिन्हें दक्षिण भारत में अयप्पा कहा गया। 

भूमा:- 

इनका जन्म शिव के पसीने की तीन बूंदों से हुआ है। कहा जाता है कि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव समाधि में ध्यान लगाए बैठे थे, उस समय उनके ललाट से तीन पसीने की बूंदें पृथ्वी पर गिरीं। इन बूंदों से पृथ्वी ने एक सुंदर बालक का जन्म हुआ जिसका नाम भूमा पड़ा। भूमा के अलावा अंधक और खुजा भी शिव के पुत्र थे।