Surya Mahadasha Effect: ज्योतिषियों के अनुसार नवग्रहों की दशाओं का प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। साथ ही व्यक्ति को दशा में शुभ फल प्राप्त होगा या अशुभ मिलेगा, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि व्यक्ति की जन्मकुंडली में उस ग्रह की स्थिति कैसी रही है। वहीं अगर वह ग्रह शुभ मतलब उच्च का स्थित है तो उसकी महादशा में व्यक्ति को अच्छा फल भी प्राप्त होगा। वहीं अगर वह ग्रह अशुभ स्थित है तो व्यक्ति को इसके नकारात्मक फल भी प्राप्त होगा।
यहां हम बात करने जा रहे हैं ग्रहों के राजा सूर्य देव के बारे में, जिनकी महादशा 6 साल की होती है और सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान के कारक भी माने जाते हैं। यह उनके लीडर (नेतृत्व करने वाला) का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही सूर्य देव सिंह राशि के स्वामी होते है और यह मेष राशि में उच्च के माने जाते हैं वहीं यह तुला राशि में नीच के होते हैं।
सूर्य देव अगर जन्मकुंडली में शुभ स्थित हों तो व्यक्ति को मनवांछित फल की प्राप्ति होती हैं। वहीं अगर उसका आत्मविश्वास अच्छा होता है। ज्योतिष में सूर्य ग्रह अपनी मित्र राशियों में उच्च होता है तो जिसके प्रभाव से जातकों को अच्छे फल प्राप्त भी होते हैं। वहीं इस दौरान व्यक्ति के बिगड़े कार्य बनते हैं। और व्यक्ति के पिता के साथ संबंध अच्छे रहते हैं और वह प्रशासनिक पद को भी प्राप्त करता है। वहीं उनके सरकारी काम आसानी से बन भी जाते हैं।
इसके विपरित अगर सूर्य देव किसी व्यक्ति की कुंडली में अशुभ स्थित में हो तो व्यक्ति अंहकारी और क्रोधी होता है। इसके साथ ही व्यक्ति के पिता के साथ संबंध भी खराब हो जाते हैं। वहीं अगर व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य किसी ग्रह से पीड़ित हो तो यह हृदय और आंख से संबंधित रोगों को भी जन्म देता है। वहीं गुरु से पीड़ित होने पर जातक को उच्च ब्लड प्रेशर की शिकायत भी होती है।
क्या करें उपाय
1- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रविवार को तांबा और गेहूं का दान करना चाहिए।
2- प्रतिदिन आदित्यह्रदय स्त्रोत का पाठ करें।
3- रोज सूर्य देव के बीज मंत्र ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: का जाप करें।
4- रविवार के दिन भगवान सूर्य के ढ़ल जाने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे चार मुंह वाला दीया जरूर जलाएं।