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हिंदू धर्म में पूजा-पाठ से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, जिनका संबंध हमारे व्यक्ति के सुख, सौभाग्य और आरोग्य से होता है। तमाम शुभ अवसरों और धार्मिक-मांगलिक कार्यक्रमों पर कलावा या फिर कहें तो रक्षासूत्र बांधने की परंपरा हिन्दू धर्म में काफी प्रचलित है। मंगलकामना के लिए व्यक्ति न सिर्फ अपने हाथ में बल्कि अपने वाहन एवं अन्य सामान आदि में भी कलावा (Kalawa) बांधता है, ताकि ईश्वर की कृपा हमेशा उसपर बनी रहे।

कहा जाता है कि हाथ में बांधे जाने वाले कलावे के तीन धागे प्रजापिता ब्रह्मा, भगवान श्री विष्णु और देवों के देव महादेव का प्रतीक होते है। इस धागे को पवित्र मंत्र (Mantra) और मंगलकामना के लिए भी बांधने पर इन देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहा जाता है इसे बंधने से व्यक्ति तमाम तरह की विपदाओं से बचा रहता है। 

जानिए पौराणिक मान्यता

हिंदू धर्म में जिस पवित्र कलावा को हाथ में बंधवाए बिना कोई भी धार्मिक अनुष्ठान संपन्न नहीं होता है, उसके बारे में मान्यता है कि यह परंपरा पौराणिक काल से ही चलन में है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले वामन भगवान ने दानवीर राजा बली को अमृत्व देते हुए उनकी कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था। वामन भगवान को श्री हरि विष्णु जी के अवतार कहा जाता है।

कैसे बांधते हैं कलावा

कलावा को किसी योगी कर्मकांडी पंडित से बंधवाने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा बताया गया है कि हाथ में कलावा को बांधने से पहले; व्यक्ति के दोनों हाथ को फैलाकर फिर उसके बांए हाथ की मध्यमा से लेकर दाएं हाथ की मध्यमा तक नाप लें और उसे तीन गुना कर लें। अब व्यक्ति की कलाई में मंत्र को बोलते हुए बांधें। कलावा को हमेशा पुरुष के दाएं हाथ में और महिलाओं के बाएं हाथ में बंधा जाता है।

जानिए क्या है ​मंत्र

सनातन परंपरा में पूजा-पाठ से जुड़े अलग-अलग कर्मकांड के लिए तमाम तरह के मंत्र बताए गए हैं। हाथ में कलावा बांधते समय नीचे दिए गए मंत्र को मंगल की कामना करते हुए मन में जपते हुए पढ़ना चाहिए।

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

कहा जाता है कि कलावा पहनने से व्यक्ति तमाम तरह की बुरी बलाओं और दुर्घटनाओं से बचा रहता है साथ ही उसे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में शुभता और सफलता भी प्राप्त होती है। साथ ही विज्ञान की दृष्टि से ऐसा माना जाता है कि कलावा को कलाई में बांधने से व्यक्ति के शरीर में त्रिदोष यानि वात, पित्त तथा कफ का संतुलन भी बना रहता है।