गोस्वामी तुलसीदासजी श्रीरामचरितमानस में लिखते हैं कि प्रभुश्रीराम के वचन हैं कि….
निर्मल मन जन सो मोहि पावा।
मोहि कपट छल छिद्र न भावा॥
अर्थात:-
भगवान् श्रीराम का शत्रु भी यदि उनकी शरण में आ जाता है तो वे उसके भी सब पापों का नाश कर उसे अपना लेते हैं किन्तु इसके लिये सिर्फ एक काम करना पड़ता है वो है प्रभुश्रीराम की भक्ति सदैव छल-कपट छोड़ कर करनी चाहिए क्योंकि श्रीराम छल कपट करने वाले को अपना शत्रु मानते हैं और निर्मल मन से उनकी भक्ति करने वाले हर प्राणी को वे अपनी शरण में रख लेते हैं l
आज हम आपको प्रभुश्रीराम को समर्पित एक ऐसे ही भजन के बारे में बताते हैं जिसे आप छल-कपट छोड़ कर और निर्मल मन से पढ़कर श्रीराम के प्रिय हो सकते हैं l
श्रीराम भजन
हे राम जीवन धाम, मुझको दान भक्ति अब करो ।
कर दो कृपा रघुनाथ,भव बाधा मेरी अब तुम हरो ॥
काटा है जीवन आस में, होगी कृपा गुणधाम की ।
करुणा के सागर तुम प्रभु,जीवन के क्लेशों को हरो ॥
हे राम जीवन धाम……
विपदा पड़े जब भक्त पर,अवतार लेते तुम प्रभु -2
कर नाश दुष्टों का हरि,भक्तों के संकट तुम हरो ॥
हे राम जीवन धाम……
हनुमान मेरे नाथ,नाथों के प्रभु तुम नाथ हो -2
कलिकाल से रक्षा करो,सियाराम जय जय सब करो ॥
हे राम जीवन धाम……
होगी कृपा रघुनाथ की, विश्वास मुझको है प्रभु – 2
विश्वास को न तोड़ना, रघुनाथ की जय जय करो ॥
हे राम जीवन धाम……
मैं दास तेरा हूँ प्रभु, विनती करूँ हे नाथ मैं -2
दीनों के दीनानाथ तुम,पापों को मेरे तुम हरो ॥
हे राम जीवन धाम……
भक्ति करो अब दान तुम,करुना के सागर हो प्रभु – 2
विनती “अनु” की सुन लो तुम,दासों के दुःख को तुम हरो ॥
हे राम जीवन धाम, मुझको दान भक्ति अब करो ।
कर दो कृपा रघुनाथ,भव बाधा मेरी अब तुम हरो ॥
आपका आभारी
पं० अनुराग मिश्र “अनु”
स्वतंत्र पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक
मो-8009110101