डेस्क। हिंदू धर्म में सूर्यास्त के बाद शव का दाह संस्कार करने पर प्प्रतिबंध है। सूर्यास्त के बाद यानी रात या श्याम के समय दाह संस्कार करने पर मान्यता है कि स्वर्ग के द्वार बंद हो जाते हैं और नर्क के द्वार खुल जाते हैं। ऐसे में दाह संस्कार करने पर आत्मा को नरक का कष्ट भोगना पड़ता है और वह अच्छे कर्मों के बाद भी स्वर्ग नहीं जा पाता। ऐसी ही एक मान्यता यह भी है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति के शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता। इसका जिक्र हमें गरुड़ पुराण में मिलता है। आज हम आपको इसका कारण बताएंगे कि आखिर क्यों शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता।
शव को अकेला ना छोड़ने के पीछे का कारण
गरुड़ पुराण के अनुसार रात में शव को अकेला छोड़ा जाए तो आसपास भटक रही बुरी शक्तियां और आत्माएं उसमें प्रवेश कर सकती हैं। जिस स्थिति में घर पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही मारे हुए शख्स की आत्मा जो शरीर से बाहर है उसको काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है। ऐसे में कहा जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा पूरे 13 दिन तक घर मे ही रहती है। ऐसे में जब तक शरीर का दाह संस्कार न हो जाए शव को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।
इसी के साथ ही गुरुड़ पुराण में शव को अकेला छोड़ने पर लाल चींटियां या अन्य कीड़े उसके पास आने और शव को नुकसान पहुँचने का भी जिक्र किया गया है।
ऐसा भी माना जाता है कि रात के समय मे तांत्रिक क्रियाओं का प्रभाव तेज होता है। ऐसे में अगर शव को अकेला छोड़ दिया जाए तो उसका इस्तेमाल तंत्र साधना के लिए भी किया जा सकता है। जो आत्मा को काफी नुकसान भी पहुँचा सकता है।
इसके साथ ही अगर ज्यादा देर तक शव को घर में रखा जाए तो बैक्टीरिया फैलने लगते हैं इसी लिए शव के चारों ओर अगरबत्ती जलाने के लिए किसी का पास रहना चाहिए, साथ ही ऐसा दुर्गंध से बचने के लिए भी किया जाता है।