यह अंक-ज्योतिष के आधार पर देखा जाय तो अति महत्वपूर्ण एवं विचारणीय विषय है। अंक-विज्ञान के अनुसार 5 अंक का स्वामी बुध है। बुध गला, फेफड़ा और मुख का कारक ग्रह होता है। वर्तमान में विश्वव्यापी महामारी कोरोना मनुष्य के मुख, फेफड़े और गले को ही अपना निशाना बनाए हुए है। बुध ग्रहों का राजकुमार तथा वर्तमान सम्वत् 2077 का अधिपति भी है। अतः 5 अप्रैल इस दृष्टि से भी अनुकूल है।
रविवार सूर्य का दिन होता है। सूर्य नवग्रह का अधिपति है। समस्त ग्रह सौर ऊर्जा से ही प्रभावित हैं। सूर्य दीपक या प्रकाश का प्रतीक है, अतः 5 अप्रैल को रात्रि 9 बजे से 9 मिनट तक यमघण्ट काल को करोड़ों प्रज्वलित दीपक सूर्य को बल प्रदान करेंगे। नौ का अंक मंगल ग्रह का प्रतीक है। मंगल सौरमंडल का सेनापति होने के कारण महामारी अन्धकार को नष्ट करने में सूर्य का अपूर्व सहयोग करेगा। रात्रि या अन्धकार शनि का प्रतीक है और शनि सूर्य से अर्थात् अन्धकार प्रकाश से दूर होता है। अतः रविवार 5 अप्रैल को जो पूर्णिमा के नज़दीक की तिथि है, उस दिन चन्द्र की मज़बूती के लिए सभी प्रकाश बन्द कर दीपदान करना चन्द्रमा को अमृत-वृष्टि के लिए बाध्य करेगा।
चौघड़िया (मुहूर्त) अमृत की रहेगी। होरा भी उस वक़्त सूर्य का होगा। अतः इस दीपदान प्रक्रिया से शनि-काल में भी ऊर्जा के स्रोत सूर्य को जागृत करने का सार्थक प्रयास होगा।9/9 पर मंगल-सूर्य साथ होंगे, जो मेष राशि की ओर जाते हुए विषाणु जनित व्याधि को नष्ट करने में पूर्ण सक्षम होंगे। अतः इस दृष्टि से भी सूर्य-मंगल की सकारात्मकता के लिए भी दीपदान आवश्यक है। शनि-राहु रूपी अन्धकार (कोरोना महामारी) को उसी के शासन-काल में बुध, सूर्य, चन्द्र और मंगल मिलकर नष्ट करने का संकल्प लेंगे। वर्तमान प्रमादी नाम सम्वत्-2077 का अधिपति बुध, मंत्री-चन्द्रमा, रक्षा-मंत्री मंगल तथा फलेश (फलदाता) सूर्य हैं। ऐसे में दीपदान से कोराना जैसे अंधकार को दूर करने में मदद मिलेगी।
— ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट