डेस्क। हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का काफी महत्व है। और पूजा पाठ में दीप जलाने का भी विशेष प्रावधान है। मान्यता है कि पूजा में देवी-देवताओं के समक्ष दीप जलाने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और सारी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पूजा पाठ में अलग-अलग तरह के दीप जलाने के नियम हैं। पर क्या आ जानते हैं कि अलग-अलग दीपक एक विशेष कारण से जलाएं जाते हैं। आटे का दीपक, मिट्टी के दीये, पीतल का दीये, चांदी का दीये ऐसे कई तरह के धातुओं से बने दीपक का प्रयोग पूजा में किया जाता है। आज हम आपको बताएंगे कि मनोकामना पूर्ति के लिए देवी-देवता की पूजा में कौन से दीपक का प्रयोग करना चाहिए।
इच्छा पूर्ति के लिए सोना, चांदी, कांसा, तांबा जैसे धातुओं के दीपक जलाए जाते हैं। अगर आप पूजा में भगवान का आशीर्वाद चाहते हैं तो यह जान लीजिए कि कौन से दीपक का प्रयोग किस पूजा में किया जाता है।
आटे का दीपक
साधना और सिद्धि के समय आटे का दीपक जलाया जाता है; जैसे कर्ज मुक्ति, विवाह में हो रही देरी, नौकरी व्यापार के लिए, संतान की प्राप्ति के लिए, गृह कलह को खत्म करने के लिए, पति-पत्नी के रिश्ते में सुधार लाने के लिए और आर्थिक संकट से मुक्ति पाने के लिए आटे का दीपक जलाया जाता है। यह दीप पूजा के लिए काफी उत्तम माना जाता है।
मिट्टी का दीपक
मिट्टी का दीपक किसी भी पूजा पाठ के लिए सबसे पवित्र दीपक के रूप में प्रयोग किया जाता है। मिट्टी के दीपक के इस्तेमाल से शनि और मंगल ग्रह की कृपा भी प्राप्त होती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि एक बार जलाने के बाद इस दीपक का फिर से प्रयोग ना किया जाएं। मिट्टी के दिए को जलाने के बाद किसी बहते जल में प्रवाहित करना देना चाहिए।
सोने का दीपक
सोना का संबंध सूर्य से है और सोने के दीपक में सूर्य और गुरु दोनों का वास होता है। सोने के दीपक को जलाने से जीवन में उन्नति की प्राप्ति होती है।
चांदी का दीपक
चांदी का दीपक चंद्रमा और शुक्र के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इन धातु के दीपक को जलाने से घर में धन-संपदा की कभी कमी नहीं होती और मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।
तांबा का दीपक
तांबे से बने दिए में मंगल का वास होता है। इसे जलाने से मनोबल में भी वृद्धि होती है। कहते है कि तांबे के दीपक में तिल का तेल डालकर जलाना चाहिए।
कांसा का दीपक
कांसे के धातु से दीपक में बुध ग्रह का वास माना जाता है। धन की स्थिरता और पर्याप्त धन के लिए कांसे के दीपक में तिल का तेल डालकर जलाया जाता है।
लोहा का दीपक
लोहा के धातु से निर्मित दीपक में शनि देव का वास होता है। शनिवार और मंगलवार के दिन लोहे के दीपक में सरसों का तेल डालकर उड़द की दाल का आसन चारों तरफ देकर दीपक जलाया जाता है।