डेस्क। हिंदू धर्म में कई परंपराओं का पालन भी किया जाता है। वहीं इनमें से कई परंपराएं तो सदियों से चली भी आ रही है, लेकिन बहुत कम लोग इसके बारे में जानते भी हैं। वहीं परंपरा कभी भी निर्मूल नहीं होता यानी बिना हर परंपरा के पीछे कोई खास कारण नहीं होता है।
जन्म से लेकर मृत्यु तक हर परंपरा के पीछे कोई न कोई धार्मिक, वैज्ञानिक या मनोवैज्ञानिक कारण भी छिपा हुआ होता है। तो आज हम आपको मृत्यु के बाद शवयात्रा के दौरान की जाने वाली एक ऐसी ही परंपरा के बारे में बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार है।
हिंदू धर्म के अंतर्गत जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी शवयात्रा के दौरान अनेक बातों का ध्यान रखा जाता है और साथ ही साथ शवयात्रा के दौरान ‘राम नाम सत्य है’ जरूर बोला जाता है। बता दें ये परंपरा कैसे शुरू हुई, इसके बारे में कोई नहीं जानता और न ही किसी धर्म ग्रंथ में इसके बारे में कही वर्णन भी मिलता है। लेकिन इस परंपरा के पीछे कई कारण छिपे हुए हैं। और इसलिए शवयात्रा में बोलते हैं ‘राम नाम सत्य है’
1. शवयात्रा के दौरान ‘राम नाम सत्य है’ बोलने के पीछे कई कारण होते हैं। पहला कारण ये है कि लोगों को ये पता चले कि आखिर में हमारे द्वारा किए गए अच्छे काम ही संसार में रह जाएंगे जैसे भगवान श्रीराम का नाम अमर होता है। वहीं हमारा ये शरीर तो एक दिन अग्नि में जलकर नष्ट हो जाएगा। इसलिए जीवित रहते हुए अधिक से अधिक लोगों की मदद करो और भगवान के द्वारा बताए गए सत्मार्ग पर भी चलो।
2. शवयात्रा के दौरान ‘राम नाम सत्य है’ बोलने के पीछे एक कारण ये भी है कि अंतिम समय में मृतक के कान में राम नाम रूपी अमृत जाए जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सके। ऐसा कहा बोला जाता है कि मरने के कुछ समय बाद तक हमारे कुछ अंग काम करते हैं, उनमें से काम भी एक हैं। इसलिए दाह संस्कार के पहले राम नाम सुनने से मृतक की आत्मा को शांति भी मिलती है।
3. शवयात्रा के दौरान ‘राम नाम सत्य है’ बोलने के पीछे एक कारण और भी है, वो ये कि इससे लोगों का ध्यान आकर्षित हो और वे शवयात्रा के लिए मार्ग को छोड़ दें क्योंकि शवयात्रा कहीं भी नहीं रुकती है, लगातार चलती रहती है। ‘राम नाम सत्य है’ बोलने से लोगों का ध्यानाकर्षण होता है वे शवयात्रा के लिए मार्ग को छोड़ देते हैं।