आध्यत्मिक| पूरा देश कृष्ण और राधा के प्रेम की सराहना करता है लोग इन्हें प्रेम का प्रतीक बताते हैं। जब कभी भी प्रेम की मिशाल दी जाती है तो लोग राधा कृष्ण का जिक्र करते हैं। प्रेम में सबसे ऊपर अगर किसी का नाम आता है तो वह है राधा कृष्ण का है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की जब इन दोनों के बीच मे इतना प्रेम था तो यह वैवाहिक सूत्र में क्यों नहीं बंध पाए। तो आइए जानते हैं इसके पीछे के रहस्य को की राधा कृष्ण की पत्नी क्यों नहीं बन पाई…
धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक कृष्ण राधा के प्रेम की कहानी मध्यकाल के अंतिम चरण ने भक्तिकालीन युग मे लोकप्रिय हुई और कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से इनके प्रेम में सजीवता ला दी। लोग कृष्ण और राधा के प्रेम से परिचित हुए। प्राचीन समय में रुक्मिनी, सत्यभामा, समेथा श्रीकृष्णामसरा प्रचलित थी जिसमें राधा का कोई जिक्र नहीं मिलता है। लेकिन कवियों की कल्पना में राधा को जीवित किया और प्रेम की व्याख्या की। बताया जाता है देवकी पुत्र श्रीकृष्ण कुछ समय तक गोकुल में रहे और उसके बाद वृंदावन चले गए थे जिसके बाद राधा और कृष्ण का प्रेम अधूरा रह गया।
हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक जब कृष्ण दस वर्ष के थे तब यह राधा से रूबरू हुए और दोनो में प्रेम परवान चढ़ा। मत है की राधा ने कृष्ण से विवाह के लिए इनकार कर दिया था। वजह के तौर पर पुराणों में लिखा है की राधा का मानना था की वह महलों में नहीं रह सकती वह एक ग्वालन है और उनका जीवन महल में रहने के लिए नहीं हुआ है। लोगों की चिंता में राधा ने कृष्ण के प्रेम को ठुकरा दिया उन्हें कृष्ण ने मनाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं मानी और कृष्ण को रुक्मिणी से विवाह करना पड़ा। वहीं यह भी कथा प्रचलित है की जब राधा ने कृष्ण से पूंछा की उनका और कृष्ण का विवाह क्यों नहीं हुआ तो कृष्ण ने उन्हें जवाब दिया मैं अपनी आत्मा से विवाह नहीं कर सकता तुम और मैं एक है। जिसके चलते हम कभी एक नहीं हो सकते।