डेस्क। एक महत्वपूर्ण अध्यन में यह पाया गया है कि भारत जल्दी ही दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन को पीछे छोड़ सकता है। वही विश्व जनसंख्या समीक्षा (डब्ल्यूपीआर) के अनुमानों के अनुसार, 2022 के अंत तक भारत की जनसंख्या 141.7 करोड़ की थी। वहीं यह 17 जनवरी को चीन द्वारा घोषित 141.2 करोड़ की तुलना में 50 लाख से अधिक है, जब पहली बार इसमें गिरावट आई थी।
1960 के दशक, आधिकारिक घोषणाओं के अनुसार भारत, एक ऐसा देश जहां 50 प्रतिशत आबादी 30 वर्ष से कम है, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने का अनुमान भी है।
WPR के अनुसार, 18 जनवरी तक भारत की जनसंख्या बढ़कर 142.3 करोड़ हो गई। WPR यह भविष्यवाणी करता है कि, हालांकि भारत की जनसंख्या वृद्धि धीमी हो गई है पर यह अभी भी कम से कम 2050 तक चढ़ेगी।
शोध मंच मैक्रोट्रेंड्स के एक अलग अनुमान के अनुसार, भारत के लिए सबसे हालिया आंकड़ा 142.8 करोड़ है। वहीं 2021 में महामारी संबंधी व्यवधानों के कारण जनसंख्या सर्वेक्षण स्थगित करने के बाद, देश ने हर दस साल में एक बार होने वाली जनगणना के आंकड़े भी जारी नहीं किए।
1960 के दशक, आधिकारिक घोषणाओं के अनुसार भारत, एक ऐसा देश जहां 50 प्रतिशत आबादी 30 वर्ष से कम है, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने का अनुमान भी है।
WPR के अनुसार, 18 जनवरी तक भारत की जनसंख्या बढ़कर 142.3 करोड़ हो गई। WPR यह भविष्यवाणी करता है कि, हालांकि भारत की जनसंख्या वृद्धि धीमी हो गई है पर यह अभी भी कम से कम 2050 तक चढ़ेगी।
शोध मंच मैक्रोट्रेंड्स के एक अलग अनुमान के अनुसार, भारत के लिए सबसे हालिया आंकड़ा 142.8 करोड़ है। वहीं 2021 में महामारी संबंधी व्यवधानों के कारण जनसंख्या सर्वेक्षण स्थगित करने के बाद, देश ने हर दस साल में एक बार होने वाली जनगणना के आंकड़े भी जारी नहीं किए।
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वर्तमान में खाद्य उत्पादन पर ही आत्मनिर्भर है। वहीं चावल, गेहूँ और चीनी उत्पादन की दृष्टि से यह दूसरे स्थान पर है और खाद्य तेलों का प्रमुख आयातक होने के साथ-साथ यह चीनी का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी बना हुआ है। साथ ही भारत कच्चे तेल की खरीद के लिए तीसरा सबसे बड़ा बाजार भी है वहीं स्टील और सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बना है। इसके अलावा, यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार बन गया है।
अपनी 18 जनवरी की रिपोर्ट में, ब्लूमबर्ग अर्थशास्त्री एरिकझू ने मामूली मंदी का उल्लेख किया है कि चीन वर्तमान में “लंबे समय से विकास को कुचलने वाली हवा” के रूप में अनुभव कर रहा है। वहीं नेशनल स्टैटिस्टिक्स ब्यूरो द्वारा सार्वजनिक की गई जानकारी के अनुसार, चीन की जनसंख्या पिछले वर्ष की तुलना में 2022 में 8.5 लाख घट भी गई।