डेस्क। पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी पर हर जगह समान नहीं है। वहीं अगर आप ऐसा सोचते हैं तो एक बार फिर से सोच लें क्योंकि दुनिया में तीन ऐसी जगहें हैं जो जबरदस्त चुंबकीय शक्ति का केंद्र भी मानी जाती हैं। वहीं इन्हीं में से एक जगह भारत के उत्तराखंड में भी है। जब नासा ने उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में कसार पर्वत पर शोध किया तो यह पता चला कि कसार देवी मंदिर (उत्तराखंड, कसार देवी मंदिर) के आसपास का पूरा क्षेत्र वान एलन बेल्ट है। वहीं इस जगह की जबरदस्त ऊर्जा देखकर नासा भी हैरान रह गया।
NASA ने GPS-8 को चिह्नित किया और लिखा कि
कसार देवी मंदिर को कभी भी वैज्ञानिक दृष्टि से विशेष महत्व नहीं दिया गया था। पर अब नासा ने इस क्षेत्र में भू-चुंबकीय प्रभाव को मान्यता दे दी है। कसार देवी मंदिर परिसर में जीपीएस 8 (KASAR DEVI GPS 8) वह बिंदु है जिसके बारे में नासा ने गुरुत्वाकर्षण बिंदु के बारे में भी बताया है। नासा ने मंदिर के मुख्य द्वार के बायीं ओर इस स्थान को चिह्नित करते हुए जीपीएस-8 भी लिखा है। वहीं बता दें कि कसार देवी मंदिर दूसरी शताब्दी का है। और यहां हर साल नवंबर से दिसंबर के बीच कसार देवी का मेला भी लगता है।
साथ ही वर्तमान मंदिर का निर्माण बिड़ला परिवार ने 1948 में करवाया था। और यहां एक शिव मंदिर भी है जो 1950 के दशक में बनवाया गया था।
वहीं स्वामी विवेकानंद 1890 में यहां आए थे और उन्होंने यहां पहाड़ी की एकांत गुफा में बहुत गहन साधना भी की थी। उनके अलावा पश्चिमी देशों से भी कई साधक यहां आ भी चुके हैं। यह क्षेत्र क्रैंक रिज के लिए बेहद ही प्रसिद्ध है। 1980-70 के दशक के हिप्पी आंदोलन में यह क्षेत्र काफी प्रसिद्ध हुआ। और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर, तिब्बती बौद्ध गुरु लामा अनागारिका गोविंदा, पश्चिमी बौद्ध शिक्षक रॉबर्ट थुरुमन भी कसार देवी मंदिर में आ चुके हैं। इनके अलावा डीएस लॉरेंस, कैट स्टीवंस, बॉब डायलन, जॉर्ज हैरिस, डेनमार्क के अल्फ्रेड सोरेंसन जैसे पश्चिम की कई हस्तियां भी यहां आई हैं।
जानकारी के लिए आपको बता दें कसार देवी मंदिर वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत ही रोचक है। यह पृथ्वी के ठीक बाहर मौजूद मैग्नेटोस्फीयर या मैग्नेटोस्फीयर से संबंध रखता है। पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर के कारण बड़ी संख्या में ऊर्जा से भरे आवेशित कणों का निर्माण भी हुआ है। इसे वैन एलन रेडिएशन बेल्ट भी बोला जाता है।