चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने पिछले साल अप्रैल में राज्य की आíथक स्थिति को पटरी पर लाने के लिए विशेषज्ञ कमेटी बनाई थी। कैप्टन ने योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया को इस कमेटी अध्यक्ष बनाया था। कमेटी ने कृषि संबंधी सिफारिशें कीं। कमेटी ने पंजाब में कांट्रैक्ट फार्मिग को बढ़ावा देने की सिफारिश की है। इन सिफारिशों को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खारिज कर दिया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इन सिफारिशों और संसदीय कमेटी की सिफारिशों में कोई अंतर नहीं है।
सीएम ने कहा, कमेटी का काम सिफारिशें देना, मानना या न मानना सरकार का फैसला
इस कमेटी में देश के कई प्रसिद्ध अर्थशास्त्री शामिल हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘कृषि सेक्टर को लेकर मोंटेक सिंह आहलूवालिया कमेटी की सिफारिशों को खारिज करके मैंने अपनी सरकार का स्टैंड स्पष्ट कर दिया है। ऐसी कोई भी सिफारिश जो किसानों के हित में नहीं है, उसे पंजाब में लागू नहीं किया जाएगा।’
कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि कमेटी का काम अपनी सिफारिशें देना है, लेकिन यह मेरी सरकार की जिम्मेदारी है कि इन्हें स्वीकार किया जाए या नहीं। मैं जमीनी हकीकत जानता हूं और यह भी जानता हूं कि किसानों के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा। मैं उनके हितों के साथ कभी समझौता नहीं कर सकता।’
कैप्टन अमरिंदर ने आगे कहा, ‘कमेटी की वास्तविक रिपोर्ट आने में अभी वक्त लगेगा। कृषि ही एकमात्र ऐसा सेक्टर नहीं है, जिसमें कोविड के बाद सुधार की जरूरत है। संसदीय रिपोर्ट में से ही कुछ सिफारिशों लेने से कमेटी का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।’
कमेटी ने एपीएमसी की ज्यादा लाइसेंस फीस पर उठाया था सवाल
कमेटी ने पिछले साल जुलाई में सौंपी 80 पन्नों की रिपोर्ट में कहा था कि पंजाब की कृषि उपज विपणन समितियां (एपीएमसी) ‘सीमित’ हैं और इनमें लाइसेंस शुल्क भी ज्यादा है। इसलिए कृषि विपणन को इससे आगे ले जाने की जरूरत है। इस रिपोर्ट ने किसानों को मुफ्त बिजली देने के सरकार के कानून का भी विरोध किया है। साथ ही कांट्रैक्ट फार्मिग को बढ़ावा देने और निजी कंपनियों को कृषि में एक बड़ी हिस्सेदारी देने की अनुमति की भी सिफारिश की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले चार दशकों में कैसे कृषि क्षेत्र में अग्रणी रहे पंजाब की कृषि विकास दर आधी हो गई है।
क्या है कमेटी का काम
यह कमेटी पंजाब की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के लिए पंजाब सरकार को तीन चरणों में अपनी सिफारिशें देगी। कमेटी पहले साल में उठाए जाने वाले कदम, मध्यम अवधि एक्शन प्लान और दीर्घ अवधि वाली नीतियों पर अपनी रिपोर्ट देगी।