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रांची। पश्चिमी सिंहभूम के टोकलो थाना क्षेत्र स्थित लांजी जंगल में सुरक्षा बलों के खिलाफ नक्सलियों ने जिस हथियार का इस्तेमाल किया, उसे डायरेक्शनल बम बताया गया है। यह एक तरह का जुगाड़ लांचर है, जिसे चलाने के लिए मानव बल की जरूरत नहीं। लैंड माइंस की तरह ही दूर बैठे तार की मदद से नक्सली इसका संचालन कर सकते हैं। इसकी खासियत है कि इसे सिर्फ जमीन में ही नहीं लगाया जा सकता है, बल्कि पेड़ों और पहाड़ों पर भी लगाया जा सकता है।

नक्सलियों ने इस घातक बम को सुरक्षा बलों के खिलाफ तैयार कर रखा है। पुलिस को उम्मीद है कि नक्सलियों के पास भारी संख्या में ऐसे हथियार आ गए हैं, जिससे वे सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने में उपयोग कर सकते हैं। इस डायरेक्शनल बम की मारक क्षमता 350 से 400 मीटर तक बताई जा रही है। राज्य में पहली बार नक्सलियों ने इस बम का इस्तेमाल किया और पहले ही प्रयास में राज्य के तीन होनहार जवानों की शहादत ले ली और कइयों को जख्मी कर दिया।

इसमें लांचर की तरह ही एक पाइपनुमा संरचना होती है, जिसमें एक तरफ का हिस्सा बंद रहता है। सबसे पहले पाइप में हाई एक्सप्लोसिव भरा होता है। उसमें रॉड के गोलीनुमा छोटे-छोटे टुकड़े सैकड़ों की संख्या में रहते हैं। विस्फोटक के पास एक दो तार के बराबर छेद होता है, जहां तार लगा होता है। इस देसी लांचर को दूर किसी पेड़, पहाड़ पर लगाकर अपराधी-नक्सली कहीं दूर चला जाता है। जैसे ही सुरक्षा बल उस पेड़ या पहाड़ के नजदीक पहुंचते हैं, वह अपराधी-नक्सली तार को बैट्री की मदद से स्पार्क कर देता है और विस्फोटक में आग लगते ही ब्लास्ट होता है। उसमें पड़े सभी रॉड के टुकड़े खाली दिशा में तेजी से निकलते हैं और उनके रास्ते में जो मिलता है, उसे छेदते हुए पार हो जाते हैं।

खनन में इस्तेमाल होने वाले विस्फोटक पहुंचते रहे हैं नक्सलियों तक

नक्सलियों तक विस्फोटक पहुंचाने में पत्थर, कोयला, बाक्साइट व आयरन ओर की खदानें मदद कर रही हैं। खनन में इस्तेमाल होने वाले विस्फोटक ही नक्सलियों तक पहुंचते रहे हैं। इसका खुलासा पूर्व में गिरफ्तार नक्सलियों ने भी किया है। पूर्व में नक्सलियों की निशानदेही पर भारी मात्रा में विस्फोटकों का जखीरा भी मिलता रहा है। पत्थर के धंधेबाज, कोयला माफिया नक्सलियों को विस्फोटक उपलब्ध कराने में मदद करते रहे हैं।

नक्सल विरोधी अभियान में लगे जवानों-पदाधिकारियों के लिए जारी किया गाइडलाइंस

झारखंड पुलिस मुख्यालय ने चाईबासा की घटना के बाद सभी जिलों के एसएसपी-एसपी और नक्सल विरोधी अभियान में लगे जवानों-पदाधिकारियों के लिए गाइडलाइंस जारी किया है। झारखंड पुलिस के एडीजी अभियान नवीन कुमार सिंह ने बताया कि पूर्व में इस्तेमाल से पहले ही इस तरह के बम की बरामदगी हुई थी, जिसे निष्क्रिय किया गया था। राज्य में यह पहली बार है जब डायरेक्शनल बम का घातक प्रहार सुरक्षा बलों पर हुआ है। अब ऐसे बमों से बचाव व कारगर अभियान कैसे चले, इससे संबंधित दिशा-निर्देश सभी जिलों को जारी कर दिया गया है। एडीजी ने बताया कि चाईबासा की घटना में शामिल नक्सली चिह्नित हो चुके हैं। गिरफ्तारी के लिए प्रयास जारी है