देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वनों की आग को रोकने के लिए प्रभावी प्रयास करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की है। उन्होंने मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकथाम के लिए विशेष प्रयास करने के भी निर्देश दिए हैं। गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री आवास में कैंपा की बैठक हुई।
मुख्यमंत्री ने बैठक में स्वयं सेवा संस्थाओं, वन पंचायतों तथा इको डेवलपमेंट कमेटी के माध्यम से वन प्रहरियों की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वन रक्षक चौकियों, रेस्क्यू सेंटर के निर्माण तथा अन्य अवस्थापना सुविधाओं के निमार्ण कार्यों में तेजी लाने के लिए आरइएस तथा आरडब्लूडी को कार्यदायी संस्था नामित किया जाए। उन्होंने हाथियों के आवागमन के रास्तों पर विद्युत तारों को अंडर ग्राउंड करने अथवा उनकी ऊंचाई बढ़ाए जाने पर जोर दिया ताकि बिजली के तारों से होने वाली दुर्घटनाओं से उनका बचाव हो सके।
उन्होंने कहा कि कैंपा के तहत सृजित कार्यक्रमों के माध्यम से रोजगार सृजन को प्रभावी पहल की जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जलसंरक्षण, पौधारोपण, नर्सरी विकास एवं वन संपत्ति की सुरक्षा के क्षेत्र में रोजगार सृजित किए जा सकते हैं। उन्होंने बुग्यालों के संवद्र्धन के लिए कायर नेट और पिरुल चेकडैम के साथ ही भीमल के इस्तेमाल पर ध्यान देने की भी बात कही। उन्होंने वन्य पशुओं की सुरक्षा के लिए सोलर फैंसिंग को कारगर बताते हुए कहा कि इसके लिए आमजन को भी जागरूक किए जाने की जरूरत है।
वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि विभाग द्वारा वनों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कैंपा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेएस सुहाग ने बताया कि कैंपा के तहत इस वर्ष के लिए 225 करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराई गई है। अगले वित्तीय वर्ष के लिए कैंपा के तहत 675 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रविधान किया गया है। बैठक में पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी व प्रमुख सचिव आनंद वद्र्धन भी उपस्थित थे।