शिवरीनारायण। माघ पूर्णिमा से हर साल 15 दिवसीय माघी मेले के अंतिम दिन पूरे दिन भर भीड़ उमड़ी रही। पहले दिन ही हजारों की संख्या में लोगों ने महानदी में स्नान और भगवान नर- नारायण के दर्शन किया। मेला के अंतिम दिन दूर दराज से ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंचे और मेले का आनंद लिया।
शिवरीनारायण में हर साल माघ पूर्णिमा से 15 दिवसीय माघी मेले का आयोजन किया जाता है, मगर इस वर्ष कोरोना काल के चलते माह भर आयोजन को लेकर उहापोह की स्थिति बनी रही। लंबे संघर्ष के बाद अंततः नगर पंचायत द्वारा 15 दिवसीय माघी मेला का आयोजन 27 पᆬरवरी से 11 मार्च तक किया गया। जिला प्रशासन से स्वीकृति मिलने के बाद में कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए मेला आयोजित करने का आदेश जिला प्रशासन द्वारा जारी किया गया। इस साल यह मेला 27 फरवरी से शुरू हुआ है। पहले दिन ही हजारों की संख्या में लोगों ने महानदी में स्नान और भगवान नर- नारायण के दर्शन कर मेले का आनंद लिया। इसके बाद से हर दिन आसपास के गांव के लोग मेले में पहुंचे। अंतिम दिन मेले में खासी भीड़ रही। छुट्टी का दिन व महाशिवरात्रि होने के कारण जांजगीर, अकलतरा, बिलासपुर व आसपास के लोग मेले में परिवार के साथ पहुंचे। सुबह से दर्शनार्थियों के आने का जो क्रम शुरू हुआ तो शाम तक चलता रहा। नर-नारायण की पूजा के बाद श्रद्घालु मेले का आनंद लेते रहे। मेले में हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ आया है। सर्कस, टूरिंग टॉकिज, मौत का कुआं, कई तरह के झूले और मनोरंजन के साधन तो आए ही हैं साथ ही कपड़ा, मनिहारी, बर्तन समेत दैनिक जरूरत के सामान की दुकानें भी लगी हैं। बच्चों ने जहां झूले और सर्कस का आनंद लिया वहीं युवा वर्ग की भीड़ मौत कुआं और टूरिंग टाकिज में देखी गई। महिलाएं दुकानों में खरीददारी करने में व्यस्त रहीं। इस मेले की एक खासियत इसका व्यवस्थित होना भी है। यहां कपड़े, बर्तन, खिलौने इत्यादि की दुकानें कतार से लगी दिखाई देती हैं। मेले में ओडिसा के प्रसिद्घ खाद्य पदार्थ उखरा की अत्यधिक बिक्री होती है। मेले में आने वाला लगभग प्रत्येक दर्शनार्थी उखरा अवश्य खरीदता है।
शिवरीनारायण में भगवान नर-नारायण, चंद्रचूड़ महादेव और मां अन्नापूर्णा मंदिर प्रमुख मंदिर हैं। इसके अलावा हनुमान मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर तथा काली मंदिर भी दर्शनीय हैं। भगवान नर-नारायण के मंदिर में रोहिणी कुंड है, जिसका जल हर क्षण भगवान नारायण का पाद प्रक्षालन करता है। विशेष बात यह है कि इस कुंड का जल न तो कभी सूखता है और न ही खराब होता है। गंगाजल की तरह वर्षों तक इसे सुरक्षित रखा जा सकता है।
थर्मल स्कैनिंग के बाद दिया गया प्रवेश
कोरोनाकाल को देखते हुए जिला प्रशासन ने कोरोना जांच के बाद ही मेला में प्रवेश का आदेश जारी किया है। इसके तहत स्वास्थ्य विभाग के द्वारा मेला के छह प्रवेश द्वार पर स्वास्थ्य कर्मियों की ड्यूटी लगाई है। प्रवेश द्वार पर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लोंगों की थर्मल स्कैनिंग करने और नाम पता एंट्री करने के बाद ही अंदर प्रवेश दिया जा रहा है। वहीं बिना मास्क के मेला के अंदर प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। कोरोना गाइड लाइन का पालन कराने के लिए पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगाई गई थी।