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सैटेलाइट इमेज लेने वाली प्लैनेट लैब्स (Planet Labs) ने उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से पहले और 27 मिनट बाद की दो तस्वीरें साझा की हैं। इनमें नजर आ रहा है कि कैसे पहाड़ का बर्फीला सफेद हिस्सा गिरते ही उसकी जगह गहरे रंग की जमीन दिखाई देने लगी। इनके अलावा कुछ ऐसी लाइव तस्वीरें भी हैं, जिनमें ग्लेशियर को ऋषिगंगा नदी में गिरते दिखाया गया है। ग्लेशियर गिरते ही नदी में तेज लहरें उठीं और पानी का सैलाब मलबे के साथ आगे बढ़ चला।

तपोवन में NTPC प्रोजेक्ट की पहले और बाद की तस्वीरें
ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा और NTPC पावर प्रोजेक्ट सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। यहीं सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई। प्लेनेट लैब्स ने NTPC पावर प्रोजेक्ट के पास की ग्लेशियर टूटने से पहले और बाद की सैटेलाइट तस्वीरें भी शेयर की हैं। इससे मालूम चलता है कि घटना कितनी भयावह थी।

अब तक 32 लोगों ने जान गंवाई
उत्तराखंड आपदा में अब तक 32 लोगों के शव मिल चुके हैं। 206 लोग लापता हैं। इनमें से चमोली में तपोवन की NTPC टनल में फंसे 39 लोगों को निकालने की कोशिशेें जारी हैं। बाकी 174 लोगों का अभी तक पता नहीं चल पाया है।

टनल में मलबा दलदल में बदला
ढाई किलोमीटर लंबी NTPC टनल में ITBP के जवान 120 मीटर तक पहुंच चुके हैं। टनल में पानी और मलबा मिलकर दलदल बन गया है, जिससे ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है। ITBP की अधिकारी अपर्णा कुमार ने बताया कि रातभर टनल से मलबा हटाया गया। अभी तक टनल में फंसे किसी भी मजदूर से संपर्क नहीं हो पाया है।

क्या हुआ था?
चमोली के तपोवन इलाके में रविवार सुबह करीब साढ़े 10 बजे ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा में गिर गया। इससे नदी का जल स्तर बढ़ गया। यही नदी रैणी गांव में जाकर धौलीगंगा से मिलती है। जैसे ही ऋषिगंगा का पानी धौलीगंगा में मिला रफ्तार के साथ जलस्तर भी बढ़ गया। नदियों के किनारे बसे घर बह गए। इसके बाद आसपास के गांवों को खाली कराया गया।

ऋषिगंगा नदी के किनारे स्थित रैणी गांव में बना ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट तबाह हो गया। यहीं पर जोशीमठ मलारिया हाईवे पर बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन का बनाया ब्रिज भी टूट गया। ऋषिगंगा का पानी जहां धौलीगंगा से मिलता है, वहां भी जलस्तर बढ़ गया। पानी NTPC प्रोजेक्ट में घुस गया। इस वजह से गांव को जोड़ने वाले दो झूला ब्रिज बह गए।