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देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में दस मार्च का दिन बेहद ही दिलचस्प रहा। नए मुख्यमंत्री के लिए उस नेता का नाम चुना गया, जो किसी भी तरह से चर्चाओं में नहीं थे और किसी ने सोचा भी नहीं था कि इस नाम का एलान हो जाएगा। सूबे की राजनीति में दिग्गज नेताओं समेत चार नामों को रेस में बताया जा रहा था, लेकिन विधानमंडल दल की बैठक में सर्वसम्मति से राष्ट्रीय महासचिव और पौड़ी गढ़वाल से भाजपा सांसद तीरथ सिंह रावत के नाम पर मुहर लग गई। तो चलिए बताते हैं किन दिग्गज नेताओं को पहले रेस में सबसे आगे बताया जा रहा था।

तीरथ सिंह रावत सीधे-सरल और बेदाग छवि के नेता के रूप में जाने जाते हैं। सियासी गलियारों में उनके नाम का सीएम पद के लिए कहीं भी जिक्र नहीं था। विधानमंडल दल की बैठक से पहले तक केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, नैनीताल से सांसद अजय भट्ट, उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और उच्च शिक्षा राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत का नाम जोरशोर से चर्चाओं में था, लेकिन ये सभी अटकलें तीरथ सिंह रावत के नाम के एलान के साथ ही खत्म हो गई।

जानिए उनके बारे में जो रेस में थे आगे 

केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक 

केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल भी सीएम पद के लिए मजबूत दावेदार बताए जा रहे थे। पौड़ी गढ़वाल के पिनानी में जन्मे निशंक साल 1991 से साल 2012 तक पांच बार यूपी और उत्तराखंड की विधानसभा पहुंचे। साल 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश में कर्णप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित। जिसके बाद लगातार तीन बार विधायक बने। इसके बाद साल 1997 में उत्तर प्रदेश सरकार में कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में पर्वतीय विकास विभाग के मंत्री भी रहे। फिर साल 1999 में रामप्रकाश गुप्त की सरकार में संस्कृति पूर्त व धर्मस्व मंत्री। इसके अलावा 2000 में उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद प्रदेश के पहले वित्त, राजस्व, कर, पेयजल सहित 12 विभागों के मंत्री।

वर्ष 2007 में उत्तराखंड सरकार में चिकित्सा स्वास्थ्य, भाषा तथा विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री। साल 2009 में उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2012 में डोईवाला (देहरादून) क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हए। इसके साथ ही साल 2014 में डोईवाला से इस्तीफा देकर हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए। 2019 में हरिद्वार लोकसभा सीट से विजयी हुए और वर्तमान में केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

नैनीताल सांसद अजय भट्ट 

नैनीताल सांसद अजय भट्ट भी प्रबल दावेदार बताए जा रहे थे। हालांकि, बैठक से पहले उन्होंने खुद को मुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर बताया था। अल्मोड़ा के गांधी चौक(रानीखेत) में जन्मे भट्ट का विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थी परिषद से जुड़ाव रहा। वे 1980 से सक्रिय सदस्य हैं। 31 दिसंबर 2015 से वे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहे। 19 मई 2012 से 15 मार्च 2017 तक नेता प्रतिपक्ष के तौर पर जिम्मेदारी संभाली। 2001 में अंतरिम सरकार में कैबिनेट मंत्री का दायित्व, 1996 से 2000 तक विधायक रानीखेत का पद संभाला। इसके बाद 2002 से 2007 तक रानीखेत से दोबारा विधायक रहे। इसके अलावा भी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली।

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज  

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी सीएम पद की रेस में आगे बताए जा रहे थे। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने से पहले वे केंद्र में मंत्री रहे चुके हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं। पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं। महाराज आध्यात्मिक गुरु हैं और सामाजिक क्षेत्र में काफी सक्रिय रहते हैं।

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत 

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत भी सीएम पद के प्रबल दावेदारों में रहे। त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में कई अहम विभागों का जिम्मा संभालने वाले धन सिंह रावत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(अभाविप) में काफी सक्रिय रहे। भाजपा में प्रदेश महामंत्री(संगठन) समेत कई अहम दायित्वों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।

तीरथ सिंह रावत सीधे-सरल और बेदाग छवि के नेता के रूप में जाने जाते हैं। सियासी गलियारों में उनके नाम का सीएम पद के लिए कहीं भी जिक्र नहीं था। विधानमंडल दल की बैठक से पहले तक केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, नैनीताल से सांसद अजय भट्ट, उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और उच्च शिक्षा राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत का नाम जोरशोर से चर्चाओं में था, लेकिन ये सभी अटकलें तीरथ सिंह रावत के नाम के एलान के साथ ही खत्म हो गई।

जानिए उनके बारे में जो रेस में थे आगे 

केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक 

केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल भी सीएम पद के लिए मजबूत दावेदार बताए जा रहे थे। पौड़ी गढ़वाल के पिनानी में जन्मे निशंक साल 1991 से साल 2012 तक पांच बार यूपी और उत्तराखंड की विधानसभा पहुंचे। साल 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश में कर्णप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित। जिसके बाद लगातार तीन बार विधायक बने। इसके बाद साल 1997 में उत्तर प्रदेश सरकार में कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में पर्वतीय विकास विभाग के मंत्री भी रहे। फिर साल 1999 में रामप्रकाश गुप्त की सरकार में संस्कृति पूर्त व धर्मस्व मंत्री। इसके अलावा 2000 में उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद प्रदेश के पहले वित्त, राजस्व, कर, पेयजल सहित 12 विभागों के मंत्री।

वर्ष 2007 में उत्तराखंड सरकार में चिकित्सा स्वास्थ्य, भाषा तथा विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री। साल 2009 में उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2012 में डोईवाला (देहरादून) क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हए। इसके साथ ही साल 2014 में डोईवाला से इस्तीफा देकर हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए। 2019 में हरिद्वार लोकसभा सीट से विजयी हुए और वर्तमान में केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

नैनीताल सांसद अजय भट्ट 

नैनीताल सांसद अजय भट्ट भी प्रबल दावेदार बताए जा रहे थे। हालांकि, बैठक से पहले उन्होंने खुद को मुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर बताया था। अल्मोड़ा के गांधी चौक(रानीखेत) में जन्मे भट्ट का विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थी परिषद से जुड़ाव रहा। वे 1980 से सक्रिय सदस्य हैं। 31 दिसंबर 2015 से वे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहे। 19 मई 2012 से 15 मार्च 2017 तक नेता प्रतिपक्ष के तौर पर जिम्मेदारी संभाली। 2001 में अंतरिम सरकार में कैबिनेट मंत्री का दायित्व, 1996 से 2000 तक विधायक रानीखेत का पद संभाला। इसके बाद 2002 से 2007 तक रानीखेत से दोबारा विधायक रहे। इसके अलावा भी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली।

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज  

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी सीएम पद की रेस में आगे बताए जा रहे थे। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने से पहले वे केंद्र में मंत्री रहे चुके हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं। पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं। महाराज आध्यात्मिक गुरु हैं और सामाजिक क्षेत्र में काफी सक्रिय रहते हैं।

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत 

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत भी सीएम पद के प्रबल दावेदारों में रहे। त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में कई अहम विभागों का जिम्मा संभालने वाले धन सिंह रावत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(अभाविप) में काफी सक्रिय रहे। भाजपा में प्रदेश महामंत्री(संगठन) समेत कई अहम दायित्वों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।