जांजगीर-चांपा। जिला मुख्यालय सहित क्षेत्र में शुक्रवार की दोपहर हल्की बूंदाबादी हुई और पूरे दिन भर आसमान में छाए बादलों के कारण मौसम में ठंडकता बढ़ गई है। वहीं मौसम बदलने के साथ ही जिले में उपार्जन केंद्रों में जाम 12 लाख 72 हजार क्विंटल धान पर संकट के बादल छाने लगा है। धान के खुले में पड़े होने के कारण इसके खराब होने की आशंका बढ़ने लगी है। इस बार प्लास्टिक की बोरियों में भी धान की खरीदी की गई है। उसके नुकसान की संभावना अधिक है।
समिति प्रभारियों का कहना है कि शासन की नीति अनुसार 17 प्रतिशत नमी तक धान किसानों से क्रय किया गया है। वर्तमान में धान का उठाव नहीं होने के कारण धान में नमी कि मात्रा 12 प्रतिशत हो गयी है। तेज धूप, दीमक, चूहा से धान की क्षति हो रही है। धान में सूखत आने पर समितियां घाटे में जा रही है एवं शार्टेज आने पर कार्यरत कर्मचारियों के ऊपर अनावश्यक रूप से कानूनी कार्रवाई की जाती है। कर्मचारी मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक दबाव में है। वर्तमान मंहगई में हमाली रंग, सुतली विद्युत व्यय एवं डेमेज तारपोलिन में मूल्य वृद्घि के कारण शासन द्वारा प्रदाय प्रासंगिक एवं सुरक्षा व्यय अत्यधिक कम है। जिसके चलते उन्हें आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है।
स्वयं कर रहे रखवाली
समिति प्रभारियों का कहना है कि प्रभारियों के ऊपर जीरो शार्टेज का भी दबाव है। समय पर समितियों से धान का उठाव नहीं होने के चलते जीरो शार्टेज लाना केंद्र प्रभारियों के लिए चुनौती साबित हो रही है। समितियों से धान का उठाव नहीं होने के कारण मिलान भी नहीं हो पा रही है। साथ ही खरीदी के बाद भी समिति प्रभारियों को धान की रखवाली करनी पड़ रही है। खरीदी के डेढ़ माह बाद भी केंद्रों से धान का पूर्ण रूप से उठाव नहीं हो सका है।
ड्रेनेज की पर्याप्त व्यवस्था नहीं
धान खरीदी केन्द्रों में जाम धान को सुरक्षित रखने के निर्देश केन्द्र प्रभारियों को कई बार दिया जा चुका है, बाजवूद इसके स्थिति जस की तस है। शासन द्वारा सहकारी बैंक के शाखा प्रबंधकों को ड्रेनेज की पर्याप्त व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं, मगर इसके बाद भी केंद्रों में पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। ऐसे में बारिश से भीगे धान का नुकसान शासन को ही उठाना होगा। हालांकि अधिकांश केंद्रों में चबूतरे का निर्माण किया गया है, मगर स्टाक अधिक होने के चलते उन्हें खुले में ही रखना पड़ रहा है।
आंदोलन के बाद भी नहीं हुआ उठाव
धान खरीदी समाप्त हुए डेढ़ माह से अधिक समय हो गया है, लेकिन अब तक केंद्रों से धान का उठाव विपणन द्वारा नहीं किया गया है। केंद्रों में जाम धान का शीघ्र ही उठाव, संग्रहण केन्द्र की भांति जिले के समितियों को सूखत प्रदान की जाए और कमीशन की राशि का शीघ्र भुगतान करने की मांग को लेकर सेवा सहकारी समिति कर्मचारी संघ द्वारा 1 मार्च से अनिश्चित कालीन आंदोलन किया जा रहा था। 8 मार्च को जिला प्रशासन द्वारा 15 दिनों के भीतर केंद्रों से धान उठाव कराए जाने का आश्वासन दिया गया। अधिकारियों के आश्वासन के बाद 8 मार्च संघ द्वारा आंदोलन स्थगित करने का निर्णय लिया, मगर संघ का आंदोलन भी बेअसर रहा। अधिकारियों के आश्वासन के बाद भी केंद्रों में धीमी गति से उठाव किया जा रहा है। वहीं बेमौसम बारिश होने के चलते केंद्रों में जाम धान के सड़ने का खतरा भी बनने लगा है।