हल्द्वानी : आमतौर पर जंगल में एक तेंदुआ भोजन की तलाश में रोजाना अधिकतम 40 किमी तक का सफर तय करता है। मगर कुमाऊं में एक तेंदुआ ने एक दिन में चलने का रिकार्ड बना दिया है। पर्वतीय क्षेत्र के जंगल में उसने 216 किमी की दूरी तय कर ली। वह चलते-चलते उस जगह पहुंच गया जिस जंगल से उसे पकड़ा गया था। रेडियो कालर के जरिए वन विभाग ने उसकी हर मूवमेंट पर नजर भी रखी। तेंदुआ को लेकर अक्सर कहा जाता है कि शिकार की तलाश में वह नदी के आसपास भटकता है। लेकिन पानी में घुसने से बचता है। मगर हरिद्वार में एक तेंदुआ ने कई बार गंगा नदी को भी पार किया।
उत्तराखंड के तेंदुआ आबादी क्षेत्र में आतंक का पर्याय बन चुके हैं। व्यवहार में आ रहे परिवर्तन पर विस्तृत रिसर्च के लिए पिछले साल सितंबर से अब तक चार तेंदुआ पर महकमा रेडियो कालर फिट कर चुका है। हरिद्वार, टिहरी व बागेश्वर का तेंदुआ इसमें शामिल है। इसके अलावा कार्बेट से राजाजी पार्क में शिफ्ट किए दो बाघों और मैदानी एरिया में तीन हाथियों की भी रेडियो कालर से निगरानी की जा रही है। वन महकमे के पास रेडियो कालर लगे इन वन्यजीवों के हर मूवमेंट का पूरा रिकार्ड है। दावा है कि अभी तक इनमें से किसी ने भी आबादी क्षेत्र में कोई नुकसान नहीं किया।
अफसरों के मुताबिक नवंबर में बागेश्वर से एक तेंदुआ को रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर में लाकर रेडियो कालङ्क्षरग की गई थी। जिसके बाद सेंटर से 50 किमी दूर एक जंगल में छोड़ा गया। लेकिन 13 जनवरी को इस तेंदुआ ने एक दिन में लगातार सफर करते हुए 216 किमी की दूरी तय कर ली। जो कि अपने आप में हैरानी करने वाली बात है। क्योंकि, शिकार की तलाश के दौरान भी तेंदुआ द्वारा तय की गई यह दूरी पांच गुना अधिक थी। वहीं, रेडियो कालर बाघ ने एक दिन में 42 और हाथी ने अधिकतम 22 किमी का जंगल सफर किया।
घर वापसी की प्रवृत्ति
वन विभाग द्वारा जिन तेंदुआ व बाघ पर रेडियो कालर लगाया गया था। उनमें एक चीज सामान्य निकली। भले एक बार लेकिन सभी ने घर वापसी भी की। यानी रेडियो कालर लगाने के लिए उसे जिस जगह से रेस्क्यू किया गया था। वह घूमते-घूमते दोबारा उस जंगल में पहुंचा था। कुछ देर आसपास मूवमेंट करने के बाद फिर आगे बढ़ गए।
टाइगर 40 और तेंदुआ का 20 वर्ग किमी दायरा
वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक 40 वर्ग किमी यानी 160 किमी टाइगर की जंगल में टेरीटरी अधिकार क्षेत्र माना जाता है। जबकि तेंदुआ के लिए 20 वर्ग किमी (80) किमी होती है। तेंदुआ पूरी कोशिश करता है कि वह बाघ से उसका सामना न हो। खतरा समझते ही वह साइड हो जाता है।
लगातार हो रही है मॉनीटरिंग
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि 13 जनवरी को गुलदार ने अब तक की अधिकतम दूरी तय की थी। रेडियो कालर लगे हाथी, बाघ व तेंदुए की लगातार मानीटरिंग की जा रही है। फारेस्ट के पास एक्सपर्ट स्टाफ की पूरी टीम है। व्यवहार में आ रहे परिवर्तन को लेकर किसी निष्कर्ष में पहुंचने पर अभी समय लगेगा।