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द्वाराहाट (अल्मोड़ा) : पूर्व केंद्रीय जल संसाधन मंत्री व मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमा भारती द्रोणगिरि पर्वतमाला की नैसर्गिकता व आध्यात्मिक इतिहास से इस कदर अभिभूत हुईं कि इन वादियों में ध्यान लगाने के लिए अपने लिए एक कुटिया भी बनाने की चाहत बयां कर गईं। इससे पूर्व पांडवखोली स्थित महावतार गुफा में करीब दो घंटे का ध्यान लगाया। गुरुवार अपराह्न वह गोपेश्वर के लिए रवाना हो गईं।

द्रोणगिरि पर्वत मालाओं से साध्वी उमा भारती का पहले से ही गहरा लगांव रहा है। गोपनीय दौरे में वह एकाधिक बार पहले भी आ चुकी हैं। बुधवार को प्रसिद्ध वैष्णवी शक्तिपीठ दूनागिरि (द्रोणगिरि) के दर्शन कर वहा ध्यान लगाने के बाद वह सड़क किनारे पैदल भी घूमीं। दो बार तो वह कुकुछीना स्थित जोशी आवास पुहंची। भरतकोट, पांडवखोली, हनुमान गढ़ी आदि अध्यात्म से लबरेज स्थलों की जानकारी ली। गुरुवार को कुकुछीना से करीब तीन किमी दूर  महावतार बाबा की गुफा भी पहुंची। करीब दो घंटे ध्यान मुद्रा में रह वापस लौट कुमाऊं मंडल विकास निगम विश्राम गृह में भोजन लेकर आराम किया और गोपेश्वर की ओर रवाना हो गईं।

ग्रामीणों से ली कई जानकारियां

महावतार गुफा की ओर जाते तथा वापस लौटते समय राह में मिले लोगों विशेषकर महिलाओं से उनकी आजीविका, रहन सहन, शिक्षा आदि के विषय में भी साध्वी उमा भारती ने जानकारी प्राप्त की। पहाड़ की महिलाओं के हाड़तोड़ मेहनत की खूब प्रशंसा की। उनसे शीघ्र क्षेत्र में फिर आने की बात दोहराई। २०१७ के अपने प्रवास के दौरान उन्होंने क्षेत्र में पेयजल योजना बनाने का आश्वासन दिया। पानी की परेशानी सामने आते ही कहा कि जल संसाधन मंत्री रहते कुछ तकनीकी कमियां आड़े आई थीं। मामला उनके संज्ञान में है, प्रयास किए जाएंगे।