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देहरादून। शहर में मोहल्ला स्वच्छता समिति में नियुक्ति और वेतन हड़पने के मामले में पार्षदों के आरोप 24 घंटे के भीतर ही झूठे साबित हुए। वह आरोप लगा रहे थे कि नगर निगम ने किसी व्यक्ति को स्वच्छता समिति से जुड़ी सूचना नहीं दी है, जबकि सूचना लेने वाले शख्स ने निगम की ओर से दी गई सूचना की प्रति उपलब्ध करा दी। इसमें सभी 100 वार्डो में स्वच्छता समिति के तहत कार्य करने वाले कर्मचारियों के नाम-पते शामिल हैं। सूचना मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी की ओर से 24 मार्च को उपलब्ध कराई गई थी।

मोहल्ला स्वच्छता समिति में पार्षदों पर फर्जी कर्मचारियों की नियुक्ति और उनका वेतन हड़पने का आरोप है। कौलागढ़ क्षेत्र निवासी सामाजिक कार्यकर्ता विनोद जोशी ने शनिवार को इस मामले में नगर निगम में प्रदर्शन कर जांच की मांग की थी। जोशी ने दावा किया था कि सूचना के अधिकार के तहत उन्होंने समितियों की जानकारी मांगी थी। जिसमें कईं वार्ड ऐसे हैं, जिनमें फर्जी नाम दर्ज किए हुए हैं।

आरोप है कि सूची में ऐसे व्यक्तियों को कर्मचारी बताया गया है, जो सफाई का कार्य करते ही नहीं और दूसरा व्यापार या नौकरी करते हैं। आरोप है कि स्वच्छकारों के लिए आरक्षित नियुक्ति में पार्षदों ने मनमानी कर स्वर्ण जाति के अपने स्वजन, रिश्तेदार या परिचित को समिति में कर्मचारी नियुक्त किया हुआ है। जिससे न सिर्फ वार्डों की सफाई व्यवस्था प्रभावित हो रही, बल्कि नगर निगम को आर्थिक चोट भी पहुंच रही। मामले को गंभीरता से लेते हुए नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने समस्त स्वच्छता समिति की जांच के आदेश जारी कर दिए थे। समिति में नियुक्त कर्मचारियों का भौतिक सत्यापन कराए जाने की प्रक्रिया भी चल रही।

इसी बीच सोमवार को भाजपा व कांग्रेस के पार्षदों ने एकजुट होकर महापौर सुनील उनियाल गामा से मुलाकात की थी। उनका आरोप था कि विनोद जोशी निगम की छवि को धूमिल कर रहा है और निगम ने किसी भी तरह की सूचना उसे नहीं दी है। पार्षदों ने फर्जी सूचना प्रसारित करने का आरोप लगाकर विनोद जोशी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग की थी। महापौर गामा ने मामले में जांच के बाद निर्णय लेने की बात कही थी। इसी दौरान मंगलवार शाम विनोद जोशी ने वह सूचना उपलब्ध करा दी, जो नगर निगम से मिली थी और मांग उठाई कि उन पार्षदों के खिलाफ मुकदमा होने चाहिए, जो उन्हें झूठा बता रहे थे।