हरिद्वार: कोरोना संक्रमण के चलते एक महामंडलेश्वर की मौत और कई अन्य संतों के संक्रमित होने से संत समाज भी सहमा हुआ है। इस बीच, श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी और आनंद अखाड़े ने वीरवार को पहल करते हुए अपने अखाड़े के संतों के लिए कुंभ मेला समाप्त करने की घोषणा कर दी। इधर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कोविड की रोकथाम के मसले पर शुक्रवार को उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है। इसमें कुंभ मेले को लेकर भी बड़ा फैसला किया जा सकता है। रात्रि कफ्र्यू की अवधि बढ़ाने, कार्यालयों में उपस्थिति कम करने और बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगाने का भी फैसला किया जा सकता है।
हरिद्वार में इनदिनों कुंभ मेला चल रहा है, जिसमें शाही व पर्व स्नान के दिन लाखों की संख्या में साधु संत और आम श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। हालांकि, मेले में आने वालों के लिए 72 घंटे के अंतराल की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट लाने की अनिवार्यता की गई थी, लेकिन इसका पूरी तरह पालन नहीं किया जा रहा है। श्रद्धालुओं की भीड़ के आगे तंत्र कोविड जांच और अन्य गाइडलाइन के पालन की औपचारिकता ही पूरी कर रहा है।
इसी का नतीजा यह रहा कि पखवाड़ेभर में हरिद्वार कोरोना का हाटस्पॉट बन गया। संक्रमण का दौर थमा नहीं है, रोजाना छह सौ से ज्यादा मरीज मिल रहे हैं। अखाड़ों तक कोरोना ने दस्तक दी है। अभी तक अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि समेत 51 संत संक्रमित हो चुके हैं। इनमें एक महामंडलेश्वर की मौत भी हो चुकी है। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि का एम्स ऋषिकेश में इलाज चल रहा है। वीरवार को जूना अखाड़े के 200 और संतों के सैंपल लिए गए। शाही स्नान के पहले तक कोरोना जांच से इन्कार करने वाले संत अब सैंपल देने के राजी हो गए हैं।
वीरवार शाम श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी ने स्पष्ट किया कि इस समय हरिद्वार की स्थिति अच्छी नहीं है। कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, इसलिए वह 17 अप्रैल को मेले का समापन कर देंगे। अखाड़े के श्रीमहंत रविंद्र पुरी के अनुसार छावनी में प्रवास कर रहे संत अखाड़ों में वापस चले जाएंगे। 27 अप्रैल तक जितने संत महात्मा अखाड़े में रहेंगे, वह प्रतीकात्मक रूप में शाही स्नान करेंगे। आनंद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी ने भी अपने अखाड़े के कुंभ की समाप्ति की घोषणा कर दी है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि का कहना है किजिन आखाड़ों ने अपने अपने कुंभ की समाप्ति की घोषणा की है, वह उसका स्वागत करते हैं। यह अखाड़ा परिषद का निर्णय नहीं है। लेकिन, कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते वह सभी से नियमों के पालन की अपील करते हैं। परिषद सरकार को पहले ही लिखकर दे चुकी है कि संक्रमण बढऩे की स्थिति में आखाड़े प्रतिकात्मक स्नान करेंगे।