img

[object Promise]

ऋषिकेश। बेटी की मौत से मानसिक तनाव से जूझ रही बुजुर्ग कृष्णा देवी ने अर्द्ध कुंभ 2016 में धामों में स्नान करने के लिए घर से कदम बाहर निकाला। गंगा तट पर आकर ऐसी विरक्ति आई की फिर घर लौटने की नहीं सोची। इस वर्ष कुंभ में जब पुलिस ने गंगा तट पर बेसहारा व्यक्तियों का सत्यापन किया तो कृष्णा देवी का मूल ठिकाना मिल गया। बुधवार को उनके पति, पुत्र और पुत्री ऋषिकेश कुंभ थाना पहुंचे। पांच साल बाद बिछड़े परिवार का जब कृष्णा से मिलन हुआ तो सभी की आंखें भर आई।

उत्तर प्रदेश के जनपद सिद्धार्थनगर में गांव नादे पुर पोस्ट जोगिया उदयपुर निवासी 72 वर्षीय कृष्णा देवी की कहानी फिल्मों के उस किरदार के जैसी है जो मेले में बिछड़ जाता है और किसी अनजान राह पर आगे वह परिवार से मिल जाता है। पिछले पांच वर्ष से ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट में जीवन बसर कर रही कृष्णा देवी पाठक 17 अगस्त 2016 से लापता थी। उनके पति ज्वाला प्रसाद पाठक ने अपने गृह जनपद के थाने में उनकी गुमशुदगी दर्ज कराई थी। कई महीने तक अयोध्या, बनारस आसपास जहां भी उम्मीद थी स्वजन कृष्णा देवी की तलाश में गए। उनका कहीं पता नहीं चला।

इस वर्ष कुंभ में 11 जनवरी को त्रिवेणी घाट में रहने वाले सभी बेसहारा व्यक्तियों का कोतवाली पुलिस के साथ मेला पुलिस ने सत्यापन किया। इस भीड़ में एक बुजुर्ग ऐसी मिली जिसने अपना पता उत्तर प्रदेश के जनपद सिद्धार्थनगर में जोगिया उदयपुर का बताया। पुलिस ने अपने स्तर पर संबंधित थाने को कृष्णा देवी से संबंधित जानकारी पत्र के जरिये भेज दी। चार महीने की इस प्रक्रिया में आखिर कृष्णा देवी के घर तक वहां की पुलिस यह संदेश पहुंचाने में सफल रही की कृष्णा देवी नामक यह महिला ऋषिकेश में है।

कुंभ थाना ऋषिकेश के प्रभारी निरीक्षक मुकेश सिंह चौहान ने बताया कि कृष्णा देवी के परिवार वालों ने पुलिस से संपर्क किया और बुधवार को उनके पति ज्वाला प्रसाद पाठक, पुत्र दिलेश्वर पाठक, पुत्री उमा उपाध्याय कुंभ थाना पहुंचे। थाना परिसर में जब इनका सामना कृष्णा देवी से हुआ तो उन्हें तुरंत पहचान गए और सभी निशब्द हो गए, इन सभी की आंखों से निकलने वाले आंसू उनके शब्द बनकर खुशी बयां कर रहे थे। त्रिवेणी घाट चौकी प्रभारी उत्तम रमोला ने भी यहां आकर कुंभ थाना उपनिरीक्षक दीपक रावत के साथ मिलकर परिवार के सदस्यों से आवश्यक पूछताछ की।

वृद्धा के पति ज्वाला प्रसाद ने पुलिस को बताया कि उनकी छोटी पुत्री माया की अचानक मौत हो गई थी। वह सबकी लाडली थी। बेटी की मौत के बाद कृष्णा देवी खामोश रहने लगी और एक दिन अचानक बिना बताए घर से कहीं चली गई। कृष्णा देवी स्वयं बताती है कि बेटी की मौत के बाद वह शांति के लिए धामों में कुंभ स्नान के लिए घर से निकल गई थी। उसके बाद लौटने की इच्छा नहीं हुई। कुंभ पुलिस ने आवश्यक प्रक्रिया पूरी करते हुए कृष्णा देवी को उनके स्वजन को सौंप दिया। जाने से पूर्व यह पुलिस को आभार स्वरूप पत्र लिखना नहीं भूले।

पूरी तरह सामान्य नहीं है कृष्णा देवी

बुजुर्ग कृष्णा देवी की हालत अभी भी पूरी तरह से सामान्य नहीं है। स्वजन जब सामने आए तो उन्होंने इस तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी जैसा कि पांच साल बाद परिवार से मिलने पर होनी चाहिए। इतना जरूर है कि उन्होंने स्वजन के हाथों से मिठाई खाई। कृष्णा देवी के पति मुंबई में एक निजी कंपनी से सेवानिवृत्त हैं। उन्होंने बताया कि जब वह घर से गई थी तो अपने साथ 16 हजार रुपये ले गई थी। बाकी करीब पांच लाख का जेवर घर पर ही छोड़ गई थी।

त्रिवेणी घाट सत्संग हाल में बिताए दिन

कृष्णा देवी की माने तो उन्होंने उत्तराखंड और भारत के सभी चारों धामों की यात्रा इस बीच पूरी की। इसके अतिरिक्त वह नासिक, अयोध्या, इलाहाबाद, बनारस, हरिद्वार भी गई। घर से निकलने के बाद तमाम जगह की यात्रा पूरी करने के बाद वह ऋषिकेश आई। कुछ समय गंगा तट पर बिताने के बाद उन्होंने उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा की। फिर वह लौटकर यही आ गई। त्रिवेणी घाट सत्संग हॉल में वह अन्य बेसहारा व्यक्तियों के साथ रह रही थी। कृष्णा देवी ने इस दौरान किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया। इच्छा से कोई दे गया तो उसने रख लिया। इतने धामों की यात्रा करने के लिए खर्च कहां से आया इस पर कृष्णा देवी का जवाब है कि देने वाली गंगा मैया है। अब उनकी इच्छा अमरनाथ यात्रा पर जाने की है।