पंजाब में पठानकोट के शाहपुरकंडी में रोजगार की मांग को लेकर पिछले 70 दिनों से लगातार धरना दे रहे बांध विस्थापितों में से 2 बुजुर्ग मंगलवार सुबह बीएसएनएल के 80 फुट ऊंचे टावर पर चढ़ गए। टावर पर चढ़े बुजुर्गों में 87 वर्षीय सरम सिंह और 76 वर्षीय कुलविंदर सिंह हैं। दोनों बुजुर्गों के हाथों में पेट्रोल की बोतलें भी हैं।
बांध विस्थापित किसान आंदोलन की तर्ज पर पिछले 70 दिन से रणजीत सागर बांध के चीफ इंजीनियर दफ्तर के बाहर धरने पर बैठे थे। प्रशासन में सुनवाई न होने की बात कहकर दोनों बुजुर्ग मंगलवार तड़के टावर पर चढ़ गए। वहीं, उनके बाकी साथी टावर के पास प्रशासन के खिलाफ लगातार नारेबाजी कर रहे हैं।
दरअसल, बैराज बांध विस्थापित पिछले 27 वर्षों से रोजगार की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। ये विस्थापित कभी मलिकपुर डीसी दफ्तर की पानी की टंकी तो कभी इस टावर पर चढ़ जाते हैं। एक बार एक विस्थापित ने खुद को आग भी लगा ली थी, लेकिन पुलिस ने उसे बचा लिया। इस बार प्रदर्शनकारी मंगलवार को तड़के ही टावर पर चढ़ गए। समय-समय पर वह फोन कर अपने पारिवारिक सदस्यों को भी सूचित कर रहे हैं कि जब तक प्रशासन उनके पारिवारिक सदस्यों को रोजगार देने की मांग पूरी नहीं करता, तब तक वह नीचे नहीं उतरेंगे। वह आत्मदाह से भी नहीं टलेंगे।
20 फुट तक लगे थे कंटीले तार, फिर भी टावर पर चढ़ गए बुजुर्ग
इससे पहले 87 वर्षीय प्रदर्शनकारी सरम सिंह 2 बार मिनी सचिवालय स्थित पानी की टंकी और तीसरी बार इसी बीएसएनएल टावर पर चढ़ चुके हैं। 76 वर्षीय कुलविंदर भी 2 बार ओवरहेड टंकी और दूसरी बार टावर पर चढ़े हैं। पिछले साल 7 सितंबर को भी दोनों बुजुर्ग इसी टावर पर चढ़े थे। इसके बाद प्रशासन ने टावर पर 20 फुट ऊंचाई तक कंटीले तार लगवा दिए थे और टावर की रॉड भी निकाल दी थी। इसके बावजूद प्रदर्शनकारी टावर पर चढ़ गए। सूचना मिलते ही पेस्को और पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचे लेकिन बुजुर्ग नीचे आने में आनाकानी कर रहे हैं।
टावर के नीचे अपने 15 साथियों के साथ धरना दे रहे बैराज औसती संघर्ष कमेटी प्रधान दयाल सिंह ने बताया कि उनकी जमीन बैराज बांध में अधिगृहित हुई है। सरकार ने त्वरित एक सदस्य को नौकरी देने का वायदा किया था। सरकार ने नौकरियां दी लेकिन अधिकारियों ने मिलीभगत कर 1-1 मरले जमीन वाले लोगों को नौकरियां दिलवा दीं। जिन लोगों की अधिक जमीन अधिगृहित हुई और जिन लोगों को नौकरी की सबसे ज्यादा नौकरी की जरूरत थी। उन्हें नौकरी नहीं मिली। पिछले 27 साल से उनके साथ कोई इंसाफ नहीं हो रहा है। इन दौरान औसतियों ने 500 से अधिक धरने लगाए।
उन्होंने बताया कि 31 मई 2019 को एसडीएम धार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि 50 लोगों ने गलत ढंग से रोजगार हासिल किया है। डीसी को भेजी रिपोर्ट पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि इस बारे में वह 1 सितंबर 2020 को पठानकोट डीसी संयम अग्रवाल से मिले, लेकिन उन्होंने बात नहीं सुनी और एक माह बाद बात करने की नसीहत देकर उन्हें भेज दिया। उन्होंने कहा कि लंबे अरसे से केवल आश्वासन मिल रहा है। अब भी वह 70 दिन से स्थायी धरना दे रहे हैं। लेकिन, उनकी सुनवाई नहीं होने से नाराज बुजुर्गों ने यह कदम उठाया है।