नई दिल्ली। चुनाव आयोग (ईसी) ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष दिलीप घोष को एक विवादित सार्वजनिक बयान देने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। चुनाव आयोग ने बयान को भड़काऊ और लोगों को उकसाने वाला माना है, जो कि चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल की कानून-व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है। इसलिए भाजपा नेता को इस पर जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
चुनाव आयोग ने घोष को बुधवार की सुबह 10 बजे तक उत्तर 24 परगना (पश्चिम बंगाल) के बारंगर में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए की गई टिप्पणी पर अपना जवाब देने को कहा है।
पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष के रविवार को दिए बयान से नया विवाद खड़ा हो गया है। एक चुनावी रैली में उन्होंने कहा था, “अगर सीतलकूची में मारे गए शरारती लड़कों की तरह किसी ने कानून हाथ में लेने का प्रयास किया तो चुनावों के अगले चरण में भी कूचबिहार की तरह हत्याएं हो सकती हैं।”
इस पर तृणमूल कांग्रेस ने सख्त आपत्ति जताते हुए उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की। वहीं माकपा ने कहा कि यह बयान भगवा दल के फासीवादी चेहरे को उजागर करता है।
हालांकि अब चुनाव आयोग ने इस विवादित बयान पर संज्ञान लिया है और भाजपा नेता को नोटिस थमाया गया है।
बता दें, सीतलकूची विधानसभा क्षेत्र में शनिवार को चौथे चरण के मतदान के दौरान सीआईएसएफ के जवानों से कुछ लोगों द्वारा राइफलें छीनने का प्रयास करने के बाद केंद्रीय बल ने गोलीबारी की, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई।
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन द्वारा चुनाव आयोग को शिकायत करने के बाद यह नोटिस जारी किया गया है। डेरेक ने अपनी शिकायत में कहा कि घोष ने एक भड़काऊ बयान दिया है, जो बंगाल और उसके लोगों के लिए एक खुला खतरा है।
वहीं भाजपा नेता राहुल सिन्हा पर भी चुनाव आयोग ने कार्रवाई की है। सिन्हा ने सोमवार को कथित तौर पर विवादित बयान में कहा था कि कूच बिहार के सीतलकुची में चार नहीं, बल्कि आठ लोगों को केंद्रीय बलों द्वारा गोली मार दी जानी चाहिए थी। चुनाव आयोग ने भाजपा नेता राहुल सिन्हा पर अगले 48 घंटों तक किसी भी तरीके से चुनाव प्रचार करने से रोक लगा दी है। उन पर ये रोक चौथे चरण के मतदान के दौरान कूच बिहार के सीतलकूची में हुई हिंसा पर विवादित बयान देने के बाद लगाई गई है।