हल्द्वानी : गर्मियों का मौसम और फायर सीजन शुरू हो चुका है। ऐसे में जंगल की आग के साथ वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए पानी की सबसे ज्यादा जरूरत है। इस मामले में वन विभाग की फतेहपुर रेंज बेहतर काम कर रही है। डिवीजन में कुल 19 तालाब बनाए गए हैं। तराई की किसी भी रेंज में इतनी संख्या में कृत्रिम तालाब नहीं है। खास बात यह है कि हाथी, बाघ और गुलदार की प्यास बुझाने के लिए दो तालाबों में पांच किमी दूर जंगल के एक गधेरे से पाइप के जरिए पानी खींचा जाता है। जबकि 17 अन्य तालाबों में गर्मियां शुरू होते ही टैंकर से पानी जमा किया जाता है।
तराई के जंगलों में बड़ी संख्या में वन्यजीवों का डेरा है। मगर पानी व भोजन की तलाश में अक्सर वन्यजीव आबादी क्षेत्र की और मुड़ जाते हैं। ऐसे में वन विभाग से लेकर ग्रामीणों के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो जाती है। मानव-वन्यजीव संघर्ष के दौरान महकमे को लोगों का आक्रोश भी झेलना पड़ता है। इसे देखते हुए फतेहपुर रेंज में पिछले तीन साल में तालाबों की संख्या 19 कर दी गई। दस हजार से लेकर एक लाख लीटर पानी स्टोरेज की क्षमता वाले तालाब भी रेंज के जंगल में मिल जाएंगे। रेंजर केएल आर्य ने बताया कि दो बड़े तालाब हाल में बनाए गए थे। गश्ती दल इन पर नजर रखता है। अगर पानी खत्म हो जाए तो टैंकर की मदद तक ली जाती है।