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रायपुर।  विधानसभा में शुक्रवार को सदन में सत्ता पक्ष और प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा के सदस्यों में तीखी बहस हुई। विपक्ष ने आरोप लगाया कि 70 के बहुमत के आधार पर 14 सदस्यों के विपक्ष को दबाकर सरकार सदन चलना चाहती है। इस पर मंत्री मोहम्मद अकबर और रविंद्र चौबे ने भी तीखा प्रतिकार किया।

उन्होंने विपक्ष पर चर्चा से भागने का आरोप लगाते हुए कहा कि बहुमत है तो है, बिल्‍कुल चलाएंगे, क्यों नहीं चलाएंगे। इस तकरार की वजह से सदन की कार्यवाही पांच मिनट तक बाधित रही। शोर-शराबे के बीच अध्यक्ष डा. चरणदास महंत को कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।

विधानसभा की कार्यवाही के लिहाज से शुक्रवार सप्ताह का अंतिम दिन होता है। नियमानुसार शुक्रवार को सदन में अंतिम ढाई घंटे अशासकीय संकल्प पर चर्चा होती है। भाजपा विधायकों ने इसे ही मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने का प्रयास किया। सदन में जब यह घटनाक्रम हुआ तब मंत्री चौबे के विभागों के अनुदान मांगों पर चर्चा चल रही थी।

भाजपा के सदस्य अनुदान मांगों की चर्चा में शामिल नहीं हो रहे हैं। इसकी वजह से कोई भी सदस्य सदन में नहीं था। लेकिन तीन बजने के कुछ मिनट पहले ही एक-एक कर भाजपा के सदस्य सदन में आकर बैठ गए। इस बीच चर्चा का जवाब दे रहे मंत्री चौबे को अध्यक्ष ने तीन बजे के पहले भाषण खत्म कर लेने के लिए कहा।

इस पर चौबे ने कहा कि बस थोड़ा सा बचा है, जल्दी हो जाएगा। इस बीच जैसे ही तीन बजे भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल अपने स्थान पर खड़े हो गए और अशासकीय संकल्प पर चर्चा कराने की मांग करने लगे। उन्होंने कहा कि पिछले दो-तीन दिनों से यह सदन नियम, कायदे, कानून से चल रहा है, इसलिए अंतिम ढाई घंटे अशासकीय काम होना चाहिए।

वैसे भी पांचवीं विधानसभा में एक भी दिन अशासकीय कार्य नहीं हुआ है। इस बीच अध्यक्ष ने चल रही कार्यवाही के पूरी होने के बाद ही अशासकीय संकल्प पर चर्चा कराने पर सदन की सहमति ले ली। इस पर अग्रवाल ने आपत्ति की तो सत्ता पक्ष के सदस्य भी खड़े हो गए। उन्होंने सदन की कार्यवाही चलने देने का आग्रह किया। साथ ही अध्यक्ष की व्यवस्था पर प्रश्न उठाने पर आपत्ति की।

इसके बाद दोनों तरफ से आरोप- प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। हंगामा बढ़ता देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्यवाही दूसरी बार शुरू हुई तो विपक्ष ने फिर वही मुद्दा उठाया। लेकिन उपाध्यक्ष मनोज मंडावी ने अनुदान मांगों पर मत लेना शुरू कर दिया। इससे नाराज भाजपा के सभी सदस्यों ने सदन से वाकआउट कर दिया।