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  • माघ-आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि और चैत्र-आश्विन मास में आती है सामान्य नवरात्रि

शुक्रवार, 12 फरवरी से माघ महीने की गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है। माघ मास के अलावा आषाढ़ मास में भी गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। गुप्त नवरात्रि में गुप्त साधनाएं की जाती हैं। चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि में सभी भक्त देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करते हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार एक साल में चार बार नवरात्रि आती है। देवी पूजा के इस उत्सव का संबंध मौसम से भी है। नवरात्रि दो ऋतुओं के संधिकाल में मनाई जाती है। संधिकाल यानी एक ऋतु के जाने का और दूसरी ऋतु के आने का समय। अभी ठंड खत्म हो रही है और गर्मी शुरू होने वाली है। ऐसे समय में माघ मास की गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। नवरात्रि के दिनों में पूजा-पाठ के साथ ही भक्त व्रत-उपवास भी रखते हैं। ऋतुओं के संधिकाल में खान-पान से संबंधित सावधानी रखने से हम मौसमी बीमारियों से बच सकते हैं।

नवरात्रि में व्रत करने से सेहत को मिलता है लाभ

नवरात्रि के दिनों में व्रत-उपवास करने से सेहत को लाभ मिलते हैं। ये समय मौसम परिवर्तन का रहता है। ऐसे में काफी लोग मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी-जुकाम, बुखार, पेट दर्द, अपच जैसी समस्याओं की चपेट में आ जाते हैं। आयुर्वेद में रोगों से बचाव के लिए लंघन नाम की एक विधि बताई गई है। इस विधि के अनुसार व्रत करने से भी रोगों से बचाव होता है।

व्रत करने से भक्ति में बनी रहती है एकाग्रता

अन्न का त्याग करने से अपच की समस्या नहीं होती है। फलाहार करने से शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती रहती है। फल आसानी से पच भी जाते हैं। देवी पूजा करने वाले भक्तों की दिनचर्या संयमित रहती है, जिससे आलस्य नहीं होता है। सुबह जल्दी उठना और पूजा-पाठ, ध्यान करने से मन शांत रहता है। क्रोध और अन्य बुरे विकार दूर रहते हैं। इन दिनों में अगर अन्न का सेवन किया जाता है तो आलस्य बढ़ सकता है, इस वजह से पूजा में एकाग्रता नहीं बन पाती है।