img

[object Promise]

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) द्वारा राजग खासकर जनता दल (युनाइटेड) के प्रत्याशियों के खिलाफ प्रत्याशी उतारे जाने से नाराज हुई जदयू आज भी लोजपा के खिलाफ तल्ख तेवर अपनाए हुए है। इस बीच, हाल ही में राजग की बैठक में लोजपा को बुलाए जाने के बाद जदयू नेताओं के तल्खी के बाद स्पष्ट हो गया है कि फिलहाल जदयू के साथ लोजपा का राजग में रहना आसान नहीं है।

जदयू ने सीधे-सीधे इस बात को मुद्दा बना लिया है कि चिराग पासवान की पार्टी लोजपा के कारण चुनाव में राजग को कम सीटें मिलीं। ऐसे में लोजपा को किसी भी परिस्थिति में राजग में नहीं रखा जा सकता है।

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग की पार्टी लोजपा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ जमकर निशाना साधा था और कड़ी टिप्पाणी की थी।

जदयू के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी कहते हैं कि लोजपा ने विधानसभा चुनाव में राजग के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ काम किया था, इससे न सिर्फ जद(यू) को नुकसान पहुंचा था, बल्कि यह भाजपा और दो अन्य सहयोगी दलों के भी खिलाफ गया था। इससे राजग को भारी नुकसान पहुंचा था।

उन्होंने तो यहां तक कहा कि प्रधानमंत्री भी बिहार के दौरे पर कहा था कि राजग में जदयू, भाजपा और अन्य दो छोटे दल हैं। ऐसे में लोजपा को राजग का अंग नहीं माना जा सकता है।

इधर, राजग में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा भी लोजपा को राजग का अंग नहीं मानते। हम के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि लोजपा के कारण राजग को कम सीटें मिली हैं। ऐसे में उसे कैसे राजग का अंग माना जा सकता है।

बहरहाल, जदयू के तल्ख तेवर के बाद यह माना जा रहा है कि लोजपा के लिए राजग में जदयू के रहते आगे की राह आसान नहीं है। भाजपा को भी दोनों दलों के एक साथ रखना परेशानी खड़ी कर दी है। अब देखना है कि भाजपा के नेता जदयू के तल्ख तेवर के बाद क्या रूख अपनाते हैं।